"विश्वकर्मा": अवतरणों में अंतर

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== वेदों में उल्लेख==
[[ऋग्वेद]] मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐ लिखी हुई है। जिनके प्रत्येक मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता आदि। यही सुक्त यजुर्वेद अध्याय 17, सुक्त मन्त्र 16 से 31 तक 16 मन्त्रो मे आया है ऋग्वेद मे विश्वकर्मा शब्द का एक बार इन्द्र व सुर्य का विशेषण बनकर भी प्रयुक्त हुआ है। परवर्ती वेदों मे भी विशेषण रूप मे इसके प्रयोग अज्ञत नही है यह प्रजापति का भी विशेषण बन कर आया है। पूर्ण परमात्मा ने इस संसार को बनाया  है उन्होंने माँ के गर्भ में भी हमारा पालन-पोषण किया। क्या उस परमात्मा की जगह हम अन्य देवी – देवताओं को विश्व रचयिता कह सकते है, बिल्कुल नहींं। केवल पूर्ण परमात्मा कबीरभगवान साहब जीसदाशिव ही सबकासबके जनक है, उसी से सारे ब्रह्मांड का संचार करते है।<ref>{{Cite web|url=https://news.jagatgururampalji.org/vishwakarma-puja-in-hindi/|title=Vishwakarma Puja 2021 [Hindi]: विश्वकर्मा नही, पूर्ण ब्रह्म कविर्देवभगवान सदाशिव हैं और विश्वकर्मा विश्व के रचयिता|date=2021-09-17|website=SA News Channel|language=en-US|access-date=2021-09-18}}</ref>
 
: '''प्रजापति विश्वकर्मा विसुचित।'''