"ब्रह्मचर्य": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=जुलाई 2016}}
{{जैन धर्म}}
'''ब्रह्मचर्य''' योग के आधारभूत स्तंभों में से एक है। ब्रह्मचर्य का अर्थ है सात्विक जीवन बिताना, शुभ विचारों से अपने वीर्य का रक्षण करना, भगवान का ध्यान करना और विद्या ग्रहण करना। यह [[वैदिक धर्म]] वर्णाश्रम का पहला आश्रम भी है, जिसके अनुसार यह ०-२५ वर्ष तक की आयु का होता है और जिस आश्रम का पालन करते हुए विद्यार्थियों को भावी जीवन के लिये शिक्षा ग्रहण करनी होती है। Brahmchari sadaiv bijai hota hota hai
ब्रह्मचर्य से असाधारण ज्ञान पाया जा सकता है
वैदिक काल और वर्तमान समय के सभी ऋषियों ने इसका अनुसरण करने को कहा है