"रामायण": अवतरणों में अंतर

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=== सुंदरकाण्ड ===
{{main|सुंदरकाण्ड}}
[[चित्र:Ramayana 1.jpg|thumb|right|300px|रावण के आदेश पर हनुमान के पूँछ मे आग लगाने का प्रयास]]
[[हनुमान]] ने लंका की ओर प्रस्थान किया। [[सुरसा]] ने [[हनुमान]] की परीक्षा ली<ref>‘रामचरितमानस’, टीकाकार: हनुमानप्रसाद पोद्दार, प्रकाशक एवं मुद्रक: गीताप्रेस, गोरखपुर पृष्ठ 658-659</ref> और उसे योग्य तथा सामर्थ्यवान पाकर आशीर्वाद दिया। मार्ग में [[हनुमान]] ने छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वध किया और [[लंकिनी]] पर प्रहार करके [[लंका]] में प्रवेश किया। उनकी [[विभीषण]] से भेंट हुई। जब [[हनुमान]] [[अशोकवाटिका]] में पहुँचे तो [[रावण]] [[सीता]] को धमका रहा था। [[रावण]] के जाने पर [[त्रिजटा]] ने [[सीता]] को सान्तवना दी। एकान्त होने पर [[हनुमान]] ने [[सीता]] से भेंट करके उन्हें [[राम]] की [[मुद्रिका]] दी। [[हनुमान]] ने [[अशोकवाटिका]] का विध्वंस करके [[रावण]] के पुत्र [[अक्षय कुमार]] का वध कर दिया। [[मेघनाथ]] [[हनुमान]] को [[नागपाश]] में बांध कर [[रावण]] की सभा में ले गया।<ref>‘रामचरितमानस’, टीकाकार: हनुमानप्रसाद पोद्दार, प्रकाशक एवं मुद्रक: गीताप्रेस, गोरखपुर पृष्ठ 668-672</ref> [[रावण]] के प्रश्न के उत्तर में [[हनुमान]] ने अपना परिचय [[राम]] के दूत के रूप में दिया। [[रावण]] ने [[हनुमान]] की पूँछ में तेल में डूबा हुआ कपड़ा बांध कर आग लगा दिया इस पर [[हनुमान]] ने [[लंका]] का दहन कर दिया।<ref>‘रामचरितमानस’, टीकाकार: हनुमानप्रसाद पोद्दार, प्रकाशक एवं मुद्रक: गीताप्रेस, गोरखपुर पृष्ठ 678-679</ref>