"घनानन्द": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 22:
==कवित्त व सवैया==
इन पदों में सुजान के प्रेम रूप विरह आदि का वर्णन हुआ है
 
" नहिं आवनि-औधि,न रावरी आस,
इते पैर एक सी बाट चहों |"
 
घनानंद नायिका सुजान का वर्णन अत्यंत रूचिपूर्वक करतें हैं | वे उस पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर देतें हैं
"रावरे रूप की रीति अनूप नयो नयो लगत ज्यों ज्यों निहारिये |