"घनानन्द": अवतरणों में अंतर

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==कवित्त==
बहुत दिनान को अवधि आसपास परे ,
खरे अरबरनि भरे हैं उठी जानको को |
कहि कहि आवन छबीले मनभावन को,
गहि गहि राखति ही दै दै सनमान को ||
झूटी बतियानि की पतियानि तें उदास हैव कै,
अब न घिरत घन आनंद निदान को |
अधर लगे हैं आनि करि कै पयान प्रान,
चाहत चलन ये संदेसों लै सुजान को ||
 
<poem>
बहुत दिनान को अवधि आसपास परे ,
खरे अरबरनि भरे हैं उठी जानको को |
कहि कहि आवन छबीले मनभावन को,
गहि गहि राखति ही दै दै सनमान को ||
झूटी बतियानि की पतियानि तें उदास हैव कै,
अब न घिरत घन आनंद निदान को |
अधर लगे हैं आनि करि कै पयान प्रान,
चाहत चलन ये संदेसों लै सुजान को ||
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स्रोत: लव पोयम्स ऑफ़ घनानंद<ref>{{cite web |url= http://www.vedicbooks.net/love-poems-of-ghananand-p-2220.html|title=लव पोयम्स ऑफ़ घनानंद |accessmonthday=[[२० नवंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=एचटीएमएल|publisher=वैदिक बुक्स.नेट|language=}}</ref>
 
<ref>{{cite web |url= http://www.vedicbooks.net/love-poems-of-ghananand-p-2220.html|title=लव पोयम्स ऑफ़ घनानंद |accessmonthday=[[२० नवंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=एचटीएमएल|publisher=वैदिक बुक्स.नेट|language=}}</ref>
 
==संदर्भ==