विषमयुग्मकी लिंग (heterogametic sex) अथवा द्वियुग्मकी लिंग (digametic sex) अलग-अलग लिंग गुणसूत्र रखने वाले युग्मक का लिंग होता है। मानव प्रजाति में विषमयुग्मकी लिंग को पुलिंग (नर) कहते हैं जहाँ युग्मक के लिंग गुणसूत्र एक्स और वाई (X और Y) होते हैं। यह स्त्रीलिंग (मादा) के विपरीत है जिसमें दोनों लिंग गुणसूत्र एक्स और एक्स (X और X) होते हैं। इसे एक्सवाई लिंग निर्धारण प्रणाली से समझा जा सकता है।[1][2]

मनुष्य के अतिरिक्त अन्य प्राणियों में अक्सर यह निर्धारण अलग होता है। पक्षियों में नर समयुग्मकी लिंग वाला होता है जिसमें दो ज़ी (Z) गुणसूत्र होते हैं जबकि मादा एक ज़ी (Z) एवं एक डब्ल्यू (W) गुणसूत्रों के साथ द्वियुग्मकी लिंग वाली होती है। डकबिलों में नर विषमयुग्मकी होता है जबकि मादा समयुग्मकी होती है। कीट एवं शल्कपंखियों (तितलियाँ और पतंगे) में मादा विषमयुग्मकी होती है लेकिन फलमक्खी (ड्रोसोफिला) में नर विषमयुग्मकी होते हैं। इस व्यवस्था को ज़ी-डब्ल्यू लिंग निर्धारण प्रणाली के रूप में जाना जाता है।[3]

  1. King R.C.; Stansfield W.D.; Mulligan P.K. (2006). A Dictionary of Genetics (7th संस्करण). Oxford. पृ॰ 204.
  2. लिंग का परिवर्धनीय आधार अभिगमन तिथि: 22 अगस्त 2024
  3. क्रो, जेम्स एफ॰; डोव, विलियम एफ॰, संपा॰ (2000). Perspectives on genetics: anecdotal, historical, and critical commentaries, 1987-1998. मैडिसन, विस्कॉन्सिन: यूनिवर्सिटी ऑफ़ विस्कॉन्सिन प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-299-16604-5.