वीणा सहस्रबुद्धे (14 सितंबर 1948 - 29 जून 2016) प्रमुख भारतीय गायिका और कानपुर से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की संगीतकार थी। उनकी गायन शैली की जड़ें ग्वालियर घराने में थीं, लेकिन वह जयपुर और किराने घरानों से भी यह उधार ली गई थीं। सहस्रबुद्धे को ख़याल और भजन की गायिका के रूप में भी जाना जाता है।

प्रणब मुखर्जी ने हिंदुस्तानी गायन संगीत के क्षेत्र में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार -2017 से सुश्री वीणा सहस्रबुद्धे को भेंट किया

संगीत करियर

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वीणा सहस्रबुद्धे का जन्म संगीत परिवार में हुआ था। उनके पिता शंकर श्रीपाद बोदस गायक विष्णु दिगंबर पलुस्कर के शिष्य थे। उन्होंने अपने पिता के तहत अपनी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा शुरू की और फिर अपने भाई काशीनाथ शंकर बोडस से परिक्षण लिया। उन्होंने बचपन में कथक नृत्य भी सीखा था। वीणा ने गायन और संस्कृत दोनों में स्नातक और परास्नातक किया था।[1]

2013 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया था। उन्हें अखिल भारतीय गन्धर्व मंडल महविद्यालय से संगीत अलंकार प्राप्त हुआ था। वह आईआईटी कानपुर में शिक्षण भी कर चुकी थीं। 1979 में उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से संस्कृत में परास्नातक की डिग्री प्राप्त की।[2]

  1. "प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका वीणा सहस्त्रबुद्धे का निधन". नवभारत टाइम्स. मूल से 30 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 मार्च 2020.
  2. "Veena Sahasrabuddhe (1948-2016) was one of the most authentic Gwalior gayaki exponents" (अंग्रेज़ी में). मूल से 8 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 मार्च 2020.