किराना घराना
किराना घराना भारतीय शास्त्रीय संगीत और गायन की हिंदुस्तानी ख़याल गायकी की परंपरा को वहन करने वाले हिंदुस्तानी घरानों में से एक है। किराना घराने का नामकरण उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले के एक तहसील कस्बा कैराना ( जो की अब जिला शामली में हैं )से हुआ माना जाता है। यह उस्ताद अब्दुल करीम खाँ (१८७२-१९३७) का जन्मस्थान भी है, जो बीसवीं सदी में किराना शैली के सर्वाधिक महत्वपूर्ण भारतीय संगीतज्ञ थे। इन्हें किराना घराने का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। उस्ताद करीम खाँ कर्णाटक संगीत शैली में भी पारंगत थे। इनका मैसूर दरबार से गहरा संबंध था।
प्रमुख संगीतज्ञ
संपादित करें- अब्दुल करीम खाँ, १८७२-१९३७, संस्थापक
- अब्दुल वाहिद खाँ, १८८५-१९४९, करीम खाँ के भतीजे एवं किराना घराने के सह-संस्थापक
- सवाई गंधर्व, १८८६-१९५२, करीम खाँ के शिष्य
- सुरेशबाबू माने, १९०२-५३, करीम खाँ के पुत्र और शिष्य, वाहिद खाँ से भी शिक्षा प्राप्त की
- हीराबाई बादोडकर, १९०५-८९, करीम खाँ की पुत्री और शिष्या, वाहिद खाँ से भी शिक्षा प्राप्त की
- रोशन आरा बेग़म
- सरस्वती राणे
- गंगूबाई हंगल, १९१३-२००६, सवाई गंधर्व की शिष्या
- भीमसेन जोशी, १९२२-२०११, सवाई गंधर्व के शिष्य
- प्रभा अत्रे, सुरेशबाबू माने और हीराबाई बादोडकर की शिष्या[1]
- माणिक वर्मा, सुरेशबाबू माने और हीराबाई बादोडकर के शिष्य, अन्य घरानों में भी शिक्षा पायी।
विस्तृत अध्ययन हेतु
संपादित करें- Kirana, by Roshan Ara Begum. Published by Gramophone Co. of India, 1994.
- Khyāl: Creativity Within North India's Classical Music Tradition, by Bonnie C Wade. Published by Press Synidcate of the University of Cambridge, 1984.