सरस्वती राणे (4 अक्टूबर, 1913 - 10 अक्टूबर, 2006) हिंदुस्तानी शास्त्रीय शैली की भारतीय शास्त्रीय गायिका थीं। वह किराने घराना के संस्थापक उस्ताद अब्दुल करीम खाँ (1872-1937) की बेटी थीं।[1] उनके परिवार की लंबी और महान संगीत परंपरा थी। उन्होंने अपने बड़े भाई सुरेशबाबू माने और बड़ी बहन हीराभाई बादोडेकर से किराना घराना शैली में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। वह दोनों स्वयं अपने समय के भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रमुख हस्ती थे। बाद में उन्होंने बड़ी बहन हीराभाई बादोडेकर के साथ जुगलबंदी शैली में भी गीत गाये।

प्रांरभिक शिक्षा संपादित करें

सरस्वती राणे 4 अक्टूबर, 1913 को उस्ताद अब्दुल करीम खाँ (1872-1937) और ताराबाई माने के यहाँ सकीना के रूप में जन्मीं। वह संगीत घराने में पली-बढ़ीं। अपने पति से अलग होने के बाद उनकी माँ ताराबाई ने अपने सभी पांच बच्चों का नाम बदल दिया; इसलिए सकीना कुमारी सरस्वती माने बन गई। उन्होंने उनके भाई सुरेशबाबू माने से संगीत में दीक्षा ली। बाद में 1930 के बाद उन्होंने अपनी बहन हीराभाई बादोडेकर से भी सीखना शुरू किया।

अपने संगीत ज्ञान को बढ़ाने के लिए उन्हें अल्लादिया खाँ के भतीजे, जयपुर घराने के उस्ताद नत्थन खाँ, ग्वालियर घराने के बी॰ आर॰ देवधर और पंडित मास्टर कृष्णराव फुलंबरीकर जैसे अलग-अलग घरानों के उस्ताद से प्रशिक्षण भी मिला।

करियर संपादित करें

सरस्वतीबाई ने अपने संगीत कैरियर की शुरुआत सात वर्ष की आयु में संगीत नाटक, संगीत एकच पायल आदि जैसे नाटकों में मंचीय अभिनय के साथ की थी। कम आयु यानी 1929 से ही, उन्होंने पूरे भारत भर में बालगंधर्व जैसे प्रसिद्ध कलाकारों के साथ प्रमुख भूमिकाओं में अभिनय करना शुरू किया। 1933 में, उन्होंने आकाशवाणी पर प्रदर्शन करना शुरू किया। उन्होंने 1990 तक सार्वजनिक प्रदर्शन से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा तक शीर्ष ग्रेड कलाकार के रूप में ऑल इंडिया रेडियो पर प्रदर्शन जारी रखा।

वह हिन्दी और मराठी फिल्मों के लिए पार्श्व गायिकी करने वाली पहली महिला कलाकारों में से थीं। उन्होंने हिन्दी फिल्म, सरगम (1950) और भूमिका (1977) के लिए गायिकी की।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "कैराना ने दिए हैं रफी-भीमसेन जैसे नायक". नवभारत टाइम्स. मूल से 22 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 मार्च 2020.