वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय (पूर्व में पूर्वांचल विश्वविद्यालय) की स्थापना जौनपुर के लोगों के परिश्रम तथा प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. वीर बहादुर सिंह के प्रयास के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित गजट संख्या 5005/15-10-87-15 (15)-86 टी.सी. दिनांक 28 सितम्बर 1987 के तहत 02 अक्टूबर 1987 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के पावन पर्व पर की गई। कालान्तर में पूर्वांचल विश्वविद्यालय का नाम स्वर्गीय वीर बहादुर सिंह की स्मृति में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय रखा गया। इस विश्वविद्यालय के स्थापना के साथ ही गोरखपुर विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र का एक बड़ा भाग इसमें स्थानांतरित कर दिया गया। आरम्भ में इस विश्वविद्यालय में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, संतरविदासनगर, भदोही, कौशाम्बी, इलाहाबाद तथा सोनभद्र सहित कुल 12 जिलों के 68 महाविद्यालयों को इससे सम्बद्ध किया गया था।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय | |
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आदर्श वाक्य: | तेजस्विनावधीतमस्तु |
स्थापित | 1987 |
प्रकार: | सार्वजनिक |
कुलाधिपति: | महोदया आनन्दी बेन पटेल(राज्यपाल उत्तर प्रदेश) |
कुलपति: | प्रो.वंदना सिंह [1] |
अवस्थिति: | जौनपुर, उत्तर प्रदेश, भारत |
प्रारम्भ में विश्वविद्यालय का कार्यालय प्रथमतः टी.डी. कालेज जौनपुर के फार्म हाउस के भवन पीली कोठी में प्रारम्भ हुआ। उत्तर प्रदेश शासन ने विश्वविद्यालय हेतु भूमि अधिगृहित करने के लिए कुल 85 लाख रूपये की धनराशि स्वीकृत की तथा अधिकारियों सहित कुल 67 पद स्वीकृत किये। शासन द्वारा सृजित पदों पर नियुक्तियां हुई और यहीं से विश्वविद्यालय की विकास यात्रा प्रारम्भ हुई। जिला प्रशासन ने जौनपुर शहर से लगभग 12 किमी. दूर जौनपुर शाहगंज मार्ग पर लोगों केअथक प्रयास से देवकली, जासोपुर ग्राम सभाओं की कुल 171.5 एकड़ भूमि अधिगृहित कर विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराई गई।
वर्ष 1994 में विश्वविद्यालय ने अपने नवनिर्मित निजी प्रशासनिक भवन में कार्य करना प्रारम्भ किया और इसी के साथ ही विश्वविद्यालय का आवासीय स्वरूप विकसित होना प्रारम्भ हुआ। वर्तमान में परिसर स्थित विभिन्न पाठ्यक्रमों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त छात्रावास की सुविधा उपलब्ध है। अध्यापकां, अधिकारियां एवं कर्मचारियों के रहने के लिए फ्लैट्स तथा ट्रांजिट हॉस्टल की भी व्यवस्था है। इसके अलावा छात्र सुविधा केन्द्र, संगोष्ठी भवन, अतिथि गृह, शिक्षक अतिथि गृह, राष्ट्रीय सेवा योजना भवन, रोवर्स रेंजर्स भवन हैं। इसके साथ ही विभिन्न संकायों के लिए अलग-अलग भवनों का निर्माण किया गया है जो अत्याधुनिक लैब, इण्टरनेट - वाईफाई एवं सी.सी. कैमरे से सुसज्जित हैं। विद्यार्थियों को शहर से दूर परिसर में उच्च गुणवत्ता से युक्त शैक्षणिक वातावरण प्रदान करने के लिए विवेकानन्द केन्द्रीय पुस्तकालय संचालित है। इसमें परम्परागत पुस्तकालय सुविधा के अतिरिक्त इसका आधुनिकीकरण करके ईलाइब्रेरी के तहत छात्रों को ईजर्नल, ईबुक की सुविधा उपलब्ध करायी गई है, इसके साथ ही एडुसैट व्यवस्था के अन्तर्गत छात्रों को इग्नू, यूजीसी, एआईसीटीई वर्चुअल शिक्षण कार्यक्रम की सुविधा प्रदान की गई है। परिसर के छात्रों को विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के योग्य बनाने हेतु आधुनिक खेल सुविधा से युक्त एकलव्य स्टेडियम का भी निर्माण किया गया है। विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से विश्वविद्यालय का नाम अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर पहुॅंचाया है। राष्ट्रीय सेवा योजना के द्वारा विभिन्न जनपदों में असहाय लोगों के लिए बापू बाजार का आयोजन किया जाता है। परिसर को हरा-भरा करने के लिए वर्ष 2014 से एक छात्र एक पेड़ योजना संचालित की जा रही है जिसमें छात्रों से पौधरोपण कराकर उसके देख-रेख की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी जाती है। इंजीनियरिंग संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए विश्वविद्यालय के पड़ोसी गांव देवकली में आधुनिक संसाधनविहीन बच्चों को निःशुल्क कोचिंग पढ़ायी जाती है।
वर्तमान में पूर्वान्चल के पॉच जनपदों (जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ एवं इलाहाबाद) के 805 महाविद्यालय विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं। विश्वविद्यालय परिसर में स्नातक स्तर पर Law (B.A, LL.B) और इंजीनियरिंग की छः शाखाओं इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक्स एण्ड इन्स्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर साइंस एण्ड इंजीनियरिंग, इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी और मैकेनिकल इंजीनियरिंग तथा बी फार्मा की शिक्षा दी जा रही है। इसके अतिरिक्त स्नातकोत्तर स्तर पर एम.सी.ए., एम.बी.ए., एम.बी.ई., एग्रीबिजनेस, ईकामर्स, एम.एफ.सी., एम.एच.आर.डी., मास कम्यूनिकेशन, व्यावहारिक मनोविज्ञान, एम.एस.सी. बायोटेक्नॉलाजी, पर्यावरण विज्ञान, अप्लायड माइक्रो बायोलॉजी, अप्लायड बायोकेमेस्ट्री विषयों की शिक्षा प्रदान की जाती है। यहॉ से शिक्षा प्राप्त कर छात्र राष्ट्र्रीय एवं अन्तर्राष्ट्र्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं।[उद्धरण चाहिए]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "The Vice Chancellor" [कुलपति]. vbspu.ac.in. मूल से 14 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ अगस्त २०१३.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय का जालघर[मृत कड़ियाँ]
- वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय का आधिकारिक ब्लॉग
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