वी॰ एस॰ श्रीनिवास शास्त्री
वी. एस. श्रीनिवास शास्त्री (1869 - 1946) भारतीय समाजनेता थे।
वालिगमन (मद्रास) के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में इनका जन्म हुआ था। स्कूल-अध्यापक के रूप में जीवन प्रारम्भ। शुरु से ही जीवन की सामाजिक समस्याओं में अभिरुचि होने के कारण गोपालकृष्ण गोखले द्वारा संस्थापित सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी नामक संस्था के सदस्य बन गए। संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति में उनकी लगन देखकर गोखले ने इस संस्था की अध्यक्षता के लिए अपने बाद इन्हीं को चुना। सन् 1916 में वे वाइसराय की विधान परिषद् में आए। मांटेग-चेम्सफोर्ड सुधार आयोग की योजना कार्यान्वित होने के बाद वे नई काउंसिल ऑव स्टेट के सदस्य चुने गए। 1921 की रेलवे समिति में भी उन्हें शामिल किया गया। अपने समय के सबसे अधिक कुशल वक्ता होने के कारण अंतरराष्ट्रीय संस्था लीग ऑव नेशंस में भारत का प्रतिनिधित्व किया। प्रिवी काउंसिल में शामिल होनेवाले वे तीसरे भारतीय थे। 1927 में सरकार ने उन्हें दक्षिण अफ्रीका में एजेन्ट नियुक्त किया। लंदन की गोल मेज परिषद की पहली बैठक के वे सक्रिय सदस्य थे। अंग्रेज उन्हे "सिल्वर टंग शास्त्री" के नाम से पुकारते थे। शास्त्री कोस बेंच माइंड कहे जाते थे अर्थात वे अपने तर्को से अनेक बार अपने विरोधी को लाभ पहॅुचाते थे। सत्यवादी परम देशभक्त, भारतीय संस्कृति के प्रतीक, रामायण के व्याख्याकार एवम् साहित्यक् उपासक वि.एस.श्रीनिवास शास्त्री अंग्रेजी के "मास्टर"थे।
सन्दर्भ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंयह एक भारतीय राजनीतिज्ञ सम्बन्धी लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |