वृंदा करात
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वृंदा करात, बृंदा करात (जन्म-17 अक्टूबर 1947) भारत की एक कम्युनिस्ट राजनेता हैं। उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की सदस्य के तौर पर 11 अप्रैल 2005 को पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिये चुना गया। वृंदा करात 2005 में माकपा पोलित ब्यूरो की पहली महिला सदस्य के तौर पर चुनी गईं।
वृंदा करात | |
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कार्यकाल 2005-2011 | |
चुनाव-क्षेत्र | पश्चिम बंगाल |
जन्म | 17 अक्टूबर 1947 कलकत्ता, पश्चिम बंगाल, भारत |
राजनीतिक दल | भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) |
जीवन संगी | प्रकाश करात |
हस्ताक्षर | |
जीवन परिचय
संपादित करेंवृंदा करात का जन्म कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता सूरज लाल दास लाहौर के रहने वाले थे। वृंदा ने पांच वर्ष की उम्र में अपनी माता अश्रुकोना मित्रा को खो दिया था। वृंदा की दो बहनें और एक भाई है। वृंदा ने देहरादून के विल्हम गर्ल्स स्कूल से शुरुआती शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में डिप्लोमा प्राप्त करने के लिये दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कालेज में दाखिला लिया। इसके बाद वर्ष 1971 में इतिहास में स्नातक की पढ़ाई करने के लिये उन्होंने देहरादून विश्वविद्यालय में दाखिला लिया।
राजनीतिक कैरियर
संपादित करेंवृंदा 1967 में लंदन रवाना हो गयीं जहां उन्होंने चार वर्षों तक एयर इंडिया के साथ काम किया। इस दौरान उन्होंने विमान परिचायिकाओं पर स्कर्ट पहनने के लिये डाले जाने वाले दबाव के खिलाफ संघर्ष किया और इस तरह से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। लंदन में रहते हुये उनका जुड़ाव साम्राज्यवाद विरोधी और युद्ध विरोधी आंदोलनों के साथ हुआ और वह मार्क्सवादी विचारधारा के करीब आईं। इसके बाद उन्होंने भारत की जनता के लिये काम करने के इरादे से स्वदेश लौटने का इरादा किया। वह 1971 में अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर कलकत्ता लौट आईं और बीटी रंदीवे के मार्गदर्शन में माकपा में शामिल हुईं। इसके बाद उन्होंने राजनीति को करीब से समझने के इरादे से कलकत्ता विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। उन्होंने शुरुआती दिनों में अपने कालेज के छात्रों के बीच और बंगलादेश युद्ध के समय में रिफ्यूजी कैंपों में काम किया। वह 1975 में दिल्ली चली गईं और उत्तरी दिल्ली की एक कपड़ा मिल में काम करने वाले मजदूरों के बीच एक ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता के तौर पर काम करना शुरु कर दिया। वह धीरे-धीरे श्रमजीवी और महिला आंदोलनों में सक्रिय हो गयीं। उन्होंने बलात्कार कानूनों को लेकर 1980 में एक बड़ा आंदोलन छेड़ा। वह मौजूदा समय में भी एडवा की उपाध्यक्ष होने के नाते महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर जागरुकता बढ़ाने के लिये सक्रियता से काम करती हैं। वृंदा 11 अप्रैल 2005 को भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के लिये निर्वाचित हुईं। इसी वर्ष वह माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्या निर्वाचित हुईं।
परिवार
संपादित करेंवृंदा ने अपने जीवनसाथी के तौर पर माकपा के मौजूदा महासचिव और अपने छात्र जीवन के साथी प्रकाश करात को चुना था। उनकी बहन राधिका राय का विवाह एनडीटीवी समाचार चैनल के मुख्य अधिशासी प्रणय राय से हुआ है। वृंदा 1984 के सिख दंगों पर बनी फिल्म अमु में सोनाली बोसकोंकणा सेन शर्मा की मां की भूमिका निभा चुकी हैं।
रचनाएं
संपादित करेंवृंदा ने सर्वाइवल एंड इमांसीपेशन: नोट्स फ्राम इंडियन वूमन्स स्ट्रगल्स नामक पुस्तक लिखी है। यह पुस्तक भारतीय महिलाओं से जुडे विभिन्न सामाजिक राजनीतिक मसलों की वामपंथी नजरिये से पडताल करने का प्रयास करती है।