शांतिसागर
आचार्य शांति सागर महाराज, चरित्र चक्रवर्ती (१८७२-१९५५) २०वीं सदी के एक प्रमुख दिगंबर आचार्य थे। वह कईं सदियों बाद उत्तरी भारत में विचरण करने वालें प्रथम दिगम्बर संत थे।
चरित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज | |
---|---|
आचार्य शांतिसागर | |
धर्म | दिगम्बर |
उपसंप्रदाय | 20 पंथ |
व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ | |
जन्म |
सातगौंडा १८७२ यळगुड, महाराष्ट्र |
निधन |
१८ सितम्बर १९५५ कुंथलगिरी |
पिता | भीमगौड पाटिल |
माता | सत्यवती |
पद तैनाती | |
उत्तराधिकारी | वीरसागर |
कालानुक्रमिक रूपरेखा
संपादित करेंआचार्य शांति सागर का जन्म वर्ष १८७३ में यालागुडा गाँव (भोज), कर्नाटक में हुआ था। उनकें पिता का नाम भीमगौडा पाटिल और माता का नाम सत्यवती था।[1] नौ वर्ष की आयु में इच्छा के विरुद्ध इनकी शादी कर दी गयी थी। जिनसे शादी करी गयी थी, उनकी ६ माह पश्चात ही मृत्यु हो गयी थी। इसके पश्चात इन्होने कभी शादी नहीं की और आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया।[1]
१९१२ में इनकी माता का देहांत हो गया था, जिससे कुछ समय पूर्व पिता का भी हो गया था।[2]
सल्लेखना
संपादित करेंआचार्य शांतिसागर जी की सल्लेखना पूर्वक समाधी १८ सितम्बर १९५५ को हुई थी।[3]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ Tukol 1976, पृ॰ 98.
- ↑ Desjarlais, Robert R.; Eisenberg, Leon (1995).
- ↑ Tukol 1976, पृ॰ १०४.
ग्रन्थ
संपादित करेंयह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |