शाही हमाम का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल के लिए ताप्ती नदी के किनारे बुरहानपुर के किले में करवाया था।[1] यह स्‍मारक फारूखी किले के अंदर स्थित है। इस इमारत के बीचों बीच अष्‍टकोणीय स्‍नान कुण्‍ड है। यह स्‍नानकुण्‍ड खूनी भण्‍डारे (कुण्डी भण्डारे) की जल आपूर्ति प्रणाली से जुड़ा हुआ है। इस स्‍मारक की छतों पर रंगीन मुगल चित्रकला दर्शनीय है।

शाही हमाम

शाही हमाम, बुरहानपुर
सामान्य जानकारी
स्थापत्य कला मुगल वास्तुकला
देश भारत
पूर्ण 1624 ई.में
डिजाइन और निर्माण
ग्राहक मुगल साम्राज्य

कारीगरी संपादित करें

शाही हमाम दो हिस्सों में बंटा हुआ है। पहले हिस्से में एक बड़ी सी हौज है, जिसमें संगमरमर का फव्वारा लगा हुआ है। इस हौज में ठंडे और गर्म पानी की व्यवस्था की गई थी। गर्म पानी के लिए हौज के बाहर कई विशाल भट्ठियां बनी हुईं थीं। इनमें बड़े-बड़े कड़ाहों में पानी गर्म किया जाता था। ये गर्म पानी हौज के चैनलों में डाला जाता था। इसके साथ-साथ दूसरे चैनल से ठंडा पानी आता था। शाही हमाम के दूसरे हिस्से में तीन हौजें और बनाई गईं थीं, जिनमें गुलाब, केवड़ा और खस के इत्र का पानी भरा रहता था।

हमाम में रोशनी के लिए दिया रखा जाता था जिसकी रोशनी दिवारों पर जड़े कांच के टुकड़ों और हमाम में रखे हीरों से टकराकर हमाम को प्रकाश से जगमगा देती थीं।[2]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "बेगम मुमताज महल का शाही हमाम". bhaskar.aom. मूल से 21 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-06-27.
  2. "जीवित रहते ही मुमताज ने देख लिया था अपना ताजमहल". hindi.eenaduindia.com. अभिगमन तिथि 2017-06-27.[मृत कड़ियाँ]

बाहरी कड़ियां संपादित करें

बुरहानपुर: दक्षिण का द्वार, पर्यटन बुरहानपुर जिले के जालस्थल पर