शिया-सुन्नी विवाद
शिया-सुन्नी लड़ाई इस्लाम के सबसे पुरानी और घातक लड़ाइयों में से एक है। इसकी शुरुआत इस्लामी पैग़म्बर मुहम्मद के दुनिया से जाने के बाद, सन ६३२ में, इस्लाम के उत्तराधिकारी पद को लेकर हुई।[1] कुछ लोगों का कहना था कि मुहम्मद صلى الله عليه وآله وسلم साहब ने अपने चचेरे भाई और दामाद अली को इस्लाम का वारिस बनाया है (शिया) जबकि अन्य लोगों ने माना कि मुहम्मद साहब ने सिर्फ़ हज़रत अली का ध्यान रखने को कहा है और असली वारिस अबू बकर को होना चाहिए (सुन्नी)। जो लोग अली के उत्तराधिकार के समर्थक थे उन्हें शिया कहा गया जबकि अबू बकर के नेता बनाने के समर्थकों को सुन्नी कहा गया। [2] ध्यान दें कि वास्तव में अबु बकर को ख़लीफ़ा बनाया गय़ा और इसके दो ख़लीफ़ाओं के बाद ही अली को ख़लीफ़ा बनाया गया। इससे दोनों पक्षों में लड़ाई जारी रही। दूसरे, तीसरे और चौथे ख़लीफ़ाओं की हत्या कर दी गई थी - इन खलीफ़ाओं के नाम हैं उमर, उस्मान और अली। [3] शिया, अली से अपने नेताओं की गिनती करते हैं और अपने नेता को खलीफ़ा के बदले इमाम कहते हैं।

मुहम्मद के नेतृत्व में पूरा अरबी प्रायद्वीप एक मत और साम्राज्य के अधीन पहली बार आया था। हज़रत अली (जो मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद दोनों थे) ही हजरत मुहम्मद साहब के असली उत्तराधिकारी थे और उन्हें ही पहला ख़लीफ़ा बनना चाहिए था ,ऐसा विश्वास रखने वाले शिया हैं ,यद्यपि ऐसा हुआ नहीं और उनको तीन और लोगों के बाद ख़लीफ़ा, यानि प्रधान नेता, बनाया गया। अली और उनके बाद उनके वंशजों को इस्लाम का प्रमुख बनना चाहिए था, ऐसा विशवास रखने वाले शिया हैं। सुन्नी मुसलमान मानते हैं कि हज़रत अली सहित पहले चार खलीफ़ा (अबु बक़र, उमर, उस्मान तथा हज़रत अली) सतपथी (राशिदुन) थे जबकि शिया मुसलमानों का मानना है कि पहले तीन खलीफ़ा इस्लाम के गैर-वाजिब यानी अवैध प्रधान थे और वे हज़रत अली से ही इमामों की गिनती आरंभ करते हैं और इस गिनती में ख़लीफ़ा शब्द का प्रयोग नहीं करते। सुन्नी अली को (चौथा) ख़लीफ़ा मानते है। हाँलांकि अली या उनके परिवार मे से किसी ने पहले तीन खलीफा का कभी विरोध नही किया और पहले तीन खलीफा के मृत्यु के पश्चात जब अली मुसलमानो के खलीफा बने तब भी उन्होंने ये दावा नही किया कि उन्हे पहला खलीफा होना चाहिए था, ये सिर्फ उत्तराधिकार का मामला था और हजरत अली भी कई वर्षों के बाद ख़लीफ़ा बने पर इससे मुस्लिम समुदाय में विभेद आ गया जो सदियों तक चला।
आज दुनिया में, सुन्नी बहुमत में हैं पर शिया विश्वास ईरान, इराक़ समेत कई देशों में प्रधान है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "शिया-सुन्नी विवाद की जड़ क्या है?". Archived from the original on 1 दिसंबर 2017. Retrieved 22 नवंबर 2017.
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(help) - ↑ "कितने पंथों में बंटा है मुस्लिम समाज?". Archived from the original on 2 दिसंबर 2017. Retrieved 22 नवंबर 2017.
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(help) - ↑ "दुनियाभर में क्यों भिड़े हैं शिया और सुन्नी?". Archived from the original on 3 दिसंबर 2017. Retrieved 22 नवंबर 2017.
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इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- इस्लाम सबसे तेजी से बढ़ता धर्म