शिवचंद्र भरतिया
शिवचंद्र भरतिया[1] राजस्थानी भाषा के लेखक हैं शिवचंद्र भरतिया को राजस्थान का भारतेंदु हरिश्चंद्र कहा जाता है। आधुनिक राजस्थान का प्रथम उपन्यास कनक-सुन्दरी(1903ई.) इन्हीं की रचना है, इसके अतिरिक्त आधुनिक राजस्थान का प्रथम नाटक केसर-विलास(1900ई.) तथा प्रथम राजस्थानी कहानी विश्रांत प्रवास(1904ई.) का राजस्थानी साहित्य में विशेष महत्व है।[2][1]
जीवन-परिचय-
संपादित करेंडीडवाना (नागौर)
रचनाएं-
संपादित करेंफाटका जंजात बुढ़ापा की सगाई
' मोतियो की कंठी'
यह भी देखें-
संपादित करें- ↑ Yāyāvara, Bhārata (2003). Mahāvīraprasāda Dvivedī kā mahattva. Kitabghar Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7016-599-6.
- ↑ admin (2021-02-22). "राजस्थान के आधुनिक साहित्यकार एवं उनकी कृतियाँ - Mygkbook" (अंग्रेज़ी में). मूल से 2 मार्च 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-03-02.