शबरग़ान

उत्तरी अफगानिस्तान के जौजजान प्रान्तका राजधानी
(शेबेरघन से अनुप्रेषित)

शबरग़ान (फ़ारसी: شبرغان‎, अंग्रेजी: Sheberghan) उत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान के जोज़जान प्रान्त की राजधानी है। यह शहर सफ़ीद नदी के किनारे मज़ार-ए-शरीफ़ से लगभग १३० किलोमीटर दूर स्थित है। सन् २००६ में इसकी जनसँख्या १,४८,३२९ अनुमानित की गई थी।

शबरग़ान में चुनावों में मतदान देते कुछ नागरिक

नाम का उच्चारण संपादित करें

'शबरग़ान' में 'ग़' अक्षर के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह बिना बिन्दु वाले 'ग' से ज़रा भिन्न है। इसका उच्चारण 'ग़लती' और 'ग़रीब' शब्दों के 'ग़' से मिलता है।

लोग संपादित करें

शबरग़ान पूरे अफ़्ग़ानिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण शहर है जिसमें उज़बेक लोगों की बहुतायत है। इस शहर के अधिकतर नागरिकों की मातृभाषा भी उज़बेक है। यहाँ पर ताजिक, हज़ारा, पश्तून और अरब समुदाय भी हैं। यहाँ के अरब कहलाने वाले समुदाय के बारे में दिलचस्प बात है कि यह कहने को तो अरब हैं लेकिन बहुत अरसे से यहाँ रहने कि वजह से वास्तव में सभी फ़ारसी-भाषी हैं।[1]

इतिहास संपादित करें

यह नगर हज़ारों सालों से बैक्ट्रिया के उत्तर-पूर्वी कोने में एक महत्वपूर्ण राजनैतिक और व्यापारिक केंद्र रहा है। प्राचीनकाल में शबरग़ान रेशम मार्ग पर स्थित एक फलता-फूलता शहर था और आज भी बल्ख़ को हेरात से जोड़ने वाले मार्ग पर यह एक बड़ा पड़ाव है। १९७८ में सोवियत संघ के इतिहासकारों ने यहाँ तीलिया तेपे के गाँव के पास खुदाई कर के बैक्ट्रियाई सभ्यता के कुछ सोने आभूषण और अन्य वस्तुएँ पाई।[2] १३वीं सदी में मार्को पोलो यहाँ आया और उसने यहाँ के मीठे खरबूज़ों का वर्णन दिया। १८७३ में एक अफ़्ग़ान-रूसी समझौते के अंतर्गत यहाँ पर एक आज़ाद उज़बेक ख़ानत बनी जिसकी राजधानी शबरग़ान था। कुषाण साम्राज्य के शुरुआती दौर में भी यह एक अहम क्षेत्र था और कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह ख़िदुन नाम का इलाक़ा था, जो कुषाणों के पांच विभागों में से एक था। आधुनिक काल में यह अफ़्ग़ानिस्तान के प्रमुख उज़बेक नेता अब्दुल रशीद दोस्तुम का मुख्य केंद्र था।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Confessions of a Mullah Warrior, Masood Farivar, Grove Press, 2010, ISBN 978-0-8021-4454-6, ... Native Uzbeks predominated, but there were large pockets of Tajiks, Pashtuns, Turkomens, and even nomadic Arabs ...
  2. Afghanistan: hidden treasures from the National Museum, Kabul, Fredrik Talmage Hiebert, Mūzah-ʼi Kābul, National Gallery of Art (U.S.), National Geographic Books, 2008, ISBN 978-1-4262-0295-7, ... The Tillya Tepe burials were made in wooden coffins ... Sheberghan, a large village ...