शैक्षिक संस्थान
किसी ऐसे संस्थान, जहाँ शिक्षा का आदान प्रदान किया जाता है, को शैक्षिक संस्थान या शिक्षण संस्थान कहा जाता है। उम्र एवं शिक्षा के स्तर के आधार पर शैक्षिक संस्थानों के भी विभिन्न स्तर होते हैं, जो निम्न प्रकार से हैं:
संस्थानों के स्तर
संपादित करेंआंगनवाडी
संपादित करेंआंगनवाडी में छोटे छोटे बच्चों का रख रखाव किया जाता है। वहाँ वे पहली बार सामाजिक संतुलन बनाना एवं दूसरों से मेल जोल बढ़ाना सीखते हैं। प्राथमिक शिक्षा का कुछ अंश बच्चों को यहीं पर दे दिया जाता है।
प्राथमिक विद्यालय
संपादित करेंप्रथम कक्षा से पांचवी कक्षा तक की शिक्षा प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत आती है|
माध्यमिक विद्यालय
संपादित करेंयहाँ पर शिक्षा प्रथम कक्षा से (अधिकाँश मामलों में छटी कक्षा से ही) आठवीं तक दी जाती है| इस उम्र में बालक भले बुरे की समझ रखने लगते हैं।
उच्च विद्यालय
संपादित करेंनौंवी और दसवीं कक्षा की पढ़ाई उच्च शिक्षा के अंतर्गत गिनी जाती है| इस दौर की शिक्षा अधिक तर्क-शुदा होती है तथा बुद्धि का विकास भी इसी दौर में सर्वाधिक होता है|
विद्यालय
संपादित करेंबारहवीं कक्षा तक की पढाई प्रदान करने वाले विद्यालय अधिकांश रूप से सामान्य विद्यालय कहे जाते हैं।
निम्न महाविद्यालय
संपादित करेंकुछ स्थानों पर बारहवीं कक्षा का प्रावधान ना होकर अधिक विशिष्ट विषयों में शिक्षा प्रदान की जाती है जो उनके महाविद्यालय में वही विषय स्थानांतरित होते हैं। ऐसे शैक्षिक संस्थान 'निम्न महाविद्यालय' कहे जाते हैं।
महाविद्यालय
संपादित करेंउच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए बारहवीं के पश्चात जो पढाई होती है वह महाविद्यालय द्वारा ही की जाती है| सभी महाविद्यालय किसी ना किसी विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते हैं| जो महाविद्यालय विश्वविद्यालय के अंतर्गत ना आकर अलग हो जाते हैं, उन्हें मानित विश्वविद्यालय (Deemed university) कहा जाता है।
विश्वविद्यालय
संपादित करेंमहाविद्यालयों को एक समान स्तर की शिक्षा प्रदान करना एवं मानक नियम लागू करना विश्वविद्यालय का काम होता है।
अन्य शैक्षिक संस्थान
संपादित करेंइनके अलावा भी शैक्षिक संस्थान होते हैं जो ऊपर बताये गए किसी भी संस्थान से भिन्न होते हैं। जैसे गुरुकुल, मदरसे, संगीत अकादमी, सैन्य अकादमी आदि। पेशेवर जीवन के प्रशिक्षण संस्थान जैसे कि कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट इसी श्रेणी में आते हैं।
प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र
संपादित करेंअधेड़ उम्र पार कर चुके व उनसे भी बड़ों के लिए सरकार ने प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र खोले हैं। यहाँ इनको मूलभूत शिक्षा दी जाती है तथा पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है| इससे वे स्वाभिमानी बन सकते हैं एवं कम से कम हस्ताक्षर करना, हिसाब-किताब करना आदि सीख जाते हैं| इस से किसी भी देश या राज्य की साक्षरता दर भी बढ़ती है।