श्रीपाद वैद्य (जन्म 5 मई 1969 ) भारत के एक पर्यावरणविद हैं। वे  'पर्यावरणीय मानव विकास' [1] [2] [3] इस विषय के जनक हैं। वे इस विषय के पहले व्याख्याता, लेखक, शोध चैंपियन और अधिवक्ता हैं। [4] [5] [6] वे एक लेखक, कवि और नवप्रर्वतक भी हैं।

श्रीपाद वैद्य
पुरस्कार दिल्ली के 'भारत गौरव पुरस्कार' से सम्मानित
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

पर्यावरणीय मानव विकास की परिभाषा के अनुरूप जल, भोजन, ऊर्जा, नवीन खेल, नवप्रवर्तन, पारिस्थितिकी, विज्ञान, साहित्य, लेखन, कला आदि में उनकी उपलब्धियाँ पर्यावरणीय मानव विकास में महत्वपूर्ण हैं। वह इस क्षेत्र में अग्रणी रिकॉर्ड सेटर हैं। [7] [8] [9] [10] उन्हें 'पर्यावरण मानव विकास' के क्षेत्र में उनके निस्वार्थ योगदान के लिए पुरस्कार मिले है। [11] [12] [13] [14] [4] [15] विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर उनके सौ से अधिक रिकॉर्ड ने पर्यावरण मानव विकास के काम में योगदान दिया है।[16] [17] [18] [19] दुनिया में कहीं भी पर्यावरणीय मानव विकास को साध्य करने हेतु कार्य करनेवाला निस्वार्थ स्वयंसेवक बिना किसी बाहरी मदद की उम्मीद किए, अपने दम पर, निरतंर प्रयास कर एक मिसाल कायम कर सकता है यह दिखाने के लिए उनका उदाहरण प्रत्यक्ष और प्रेरक है। [15] [20] [21] [11] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [9] [28] [29] [30] [5] उन्होंने पर्यावरणीय मानव विकास की एक नई दिशा दिखाई जो मानव जीवन को सुखी, समृद्ध और सक्षम बनाएगी। [4] [31] 1993 से, वे प्रचार प्रसार और अनुसंधान के माध्यम से पर्यावरणीय मानव विकास के लिए लगातार योगदान दे रहे हैं।[32]

प्रारंभिक जीवन संपादित करें

श्रीपाद वैद्य का जन्म 5 मई 1969 को नागपुर में एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ। उनके पिता कृष्णराव और माता शारदा श्रीदेव दत्त भगवान को आराध्य मानते थे, इसलिए उनका नाम श्रीपाद रखा गया। भारतीय सेना में सेवा करते हुए, उनके पिता चीन और पाकिस्तान के खिलाफ 1965 के युद्ध सहित कुल तीन युद्धों में सक्रिय रूप से शामिल थे। [33] नागपुर नगर निगम द्वारा आयोजित नागपुर महोत्सव 2016 में माजी सैनिकों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में पिता कृष्णराव का मरणोपरांत सत्कार पुत्र श्रीपाद ने स्वीकार किया।

उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से बीई, एलएलबी, एमबीए की पदवियाँ प्राप्त की और पर्यावरण के मुद्दों का भी अध्ययन किया। [34]

पर्यावरणीय मानव विकास संपादित करें

नैसर्गिक संसाधनों का पर्यावरणीय मानव विकास में अनन्यसाधारण महत्त्व है. 'पर्यावरणीय मानव विकास' इस विषय की व्याख्या अंग्रेजी में इस प्रकार है : The systematic process of using knowledge and eco-innovations for satisfying fundamental human needs along with creation of enriched environment, peace, competence and more opportunities to spread happiness and bring about well-being of ordinary people. [4] पर्यावरणीय मानव विकास यह एक सुव्यवस्थित योजना प्रणाली है जिसका उद्देश्य उपलब्ध ज्ञान और रचनात्मक निसर्गमित्र नवाचारों का उपयोग करते हुए बुनियादी मानवीय जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ समृद्ध पर्यावरण, शांति, सक्षमता और ज्यादा अवसर निर्माण कर आम लोगों का कल्याण साधकर उन्हें सुखी करना यह है। [4] [31] [35] [36] [37] [38] [39]

पर्यावरणीय मानव विकास में उल्लेखनीय कार्य संपादित करें

सतत विकास के संबंध में संपादित करें

उन्होंने ‘सतत विकास मित्र विक्रम’ यह संकल्पना पेश कर उसे वास्तविकता में लाया[40] और इस कार्य की दखल लेते हुए उनका नाम इंग्लंड स्थित सुपरह्युमन हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया। [41] [42] [2]

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित १७ सतत विकास लक्ष्यों को दर्शानेवाली उनके द्वारा रचित सिक्कों की कला रचना को लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स ने विश्वविक्रम के तौर पर दर्ज किया ।[43]

पानी के संबंध में संपादित करें

  • विश्व का पहला पहचाना गया सस्ता सौर जल फिल्टर (World's first identified inexpensive solar water filter) :[44] [45] इस नवाचार को जनहित में प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने आईआईटी कानपुर के 'TECHKRITI 2012' का विशेष निमंत्रण स्वीकार किया और उसमें भाग लिया। इस नवाचार के लिए उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय और विश्व रिकॉर्डों में स्थान दिया गया है। [46] [44] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] उनका नवाचार अशुद्ध जल को पीने योग्य पेयजल में बनाता है और पूरे वैज्ञानिक सिद्धांत पर काम करने के साथ-साथ कम लागत वाला भी है। यह नवाचार प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश का उपयोग करता है। इसलिए सौर बैटरी, सौर पैनल आदि की कोई आवश्यकता नहीं रहती जिस कारण ई-कचरे से होने वाले प्रदूषण पर स्वचालित रूप से रोक लगती है। इसमें अन्य किसी ऊर्जा उपकरण का उपयोग भी नहीं किया है। इस नवाचार का उपयोग विशेष सामग्री या विशेषज्ञता की आवश्यकता के बिना दूरस्थ क्षेत्रों में भी किया जा सकता है। अनुकरण में आसानी के कारण इसका प्रसार कई लोगों के लिए सुविधाजनक है। केशिका पंपिंग तकनीक का उपयोग इसकी विशेषता है।
  • वॉटर क्रेडिट : जल संरक्षण एवं संवर्धन के दृष्टी से बहुत महत्त्वपूर्ण ऐसी पर्यावरण अनुकूल ‘वॉटर क्रेडिट’ यह संकल्पना सर्वप्रथम वैद्य द्वारा पेश की गई। [54] उनके इस संकल्पना को विविध समर्थन प्राप्त रहें है। [55] [56] [57] [58]
  • रूटर पॉट : पेडों के गमलों में से बाहर बहकर व्यर्थ जानेवाले पीने के पानी की बचत करके, पेडों को कम रखरखाव में भी उचित एवं नियमित जलापूर्ति होती रहें इसलिए इस आसान, घर पर सरलता से बननेवाले, प्रतिकृतीगत निसर्गमित्र नवाचार का उन्होंने निर्माण किया।[59] [9] [60] [61] [62] [63] [8] [64]
  • क्लीन वॉटर हार्वेस्टिंग : Clean Water Harvesting यह उनकी नवसंकल्पना रही है।  रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के समान ही विभिन्न कारणों से अपशिष्ट होनेवाले घरेलू स्वच्छ जल का संरक्षण, भंडारण, पुनःउपयोग और अंत में भूगर्भ-जल संचयन का प्रयास करना इसमें शामिल है। [35]

अन्न के संबंध में संपादित करें

  • फूड ऑफ फ्यूचर : पीने के पानी की बढ़ती कमी ध्यान में रखते हुए उन्होंने समुंदर और जमीन के खारे पानी का उपयोग हो सके ऐसी ‘फूड ऑफ फ्यूचर’ इस संकल्पना को सामने रखा। इसके तहत उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल सब्जी (Eco-friendly vegetable) के रूप में रानघोल (घोल की सब्जी) (Portulaca Oleracea) के महत्त्व को विषद किया। [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73]
  • लवणीय (saline) मिट्टी का उपजाऊपन : लवणीय मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए उन्होंने ‘लवणीय मिट्टी में बढ़नेवाला वृक्षारोपण’ (salt sustained plantation) करने की प्रेरणा देते हुए उसके लिए उपयोगी ऐसा एक सरल, आसान और अनुकरणीय उपकरण बनाया। इस उपकरण से आर्द्र जलवायु की हवा में उपस्थित जलवाष्प नमक के द्वारा सोककर खारे पानी में बदल जाती है जो की पेड़ को बढ़ाने हेतु जलापूर्ति करती है। इस कारण यह पीने योग्य जल संसाधनों को प्रभावित किए बिना ही पेड़ों को बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध है। सभी जानते हैं कि वृक्षों की वृद्धि वर्षा लाती है और भूमि को उपजाऊ बनाती है। उन्होंने समुंदर और दुसरे जगह के खारे पानी के स्त्रोत का दूर दूर तक इस्तेमाल होने के लिए स्वतंत्र पाइपलाइनों/जलकुंभ की बात रखते हुए उसके द्वारा इमारतों की छतों पर एवं गमलों में साल्ट सस्टेनेबल वेजिटेबल गार्डन (salt sustainable vegetable garden) के महत्त्व को उजागर किया। [74] [75] [51] [52] [66] [67]
  • शहद : 'बॅच फ्लॉवर हनी' (Batch Flower Honey) यह उनका एक अनुकरणीय नवाचार है जो पौधों की स्वतंत्र प्रजातियों से (४५ प्रकार) शहद को छांटकर शहद के उपयोग को बढ़ाता है। [76] [77]
  • दूध : दूध देने वाले डेयरी जानवरों के आहार में नियमित प्राथमिकता से आनेवाली प्रमुख वनस्पतियों का उल्लेख ऐसे जानवरों के दूध के लेबल टॅग पर करने की संकल्पना उन्होंने रखी। उदाहरण के लिए ‘नीम के पत्तों का नियमित रूप से आहार लेनेवाले जानवर का दूध’ ऐसा टॅग, आदि। दुधारू पशुओं के दूध के महत्व को उनके आहार के अनुसार बढ़ाने वाले उनके इस नवाचार का संबंध पशु चिकित्सकों, आहार विशेषज्ञों, आयुर्वेद विशेषज्ञों के साथ-साथ ग्रामीण उद्यमियों के विकास से है। [78]
  • कॉलिफ्लॉवर स्टेमकोअर चिप्स  : फूलगोभी के बेकार माने जानेवाले डंठलों से आहार में उपयोगी चिप्स (Cauliflower Stemcore Chips) बनाए जा सकते है ये उनका नवाचार है। [79]

ऊर्जा के संबंध में संपादित करें

  • स्पॉन्टेनियस हीट एनर्जी रिझर्व्ह (spontaneous heat energy reserve) : स्पॉन्टेनियस हीट एनर्जी रिजर्व’ इस नए ऊर्जा स्त्रोत पर किताब लिखने वाले वे पहले लेखक हैं। उन्होंने बताया कि स्पॉन्टेनियस हीट एनर्जी एक नया ऊर्जा स्रोत है जो ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का एक तरीका हो सकता है। स्पॉन्टेनियस हीट एनर्जी केवल रासायनिक क्रिया की निर्मिति ही नहीं बल्कि एक नए ऊर्जा स्रोत का भंडार है ये उन्होंने स्पष्ट किया। [80] [81] [82] [83] [84] [85] [34] [86] [87]
  • गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा चक्र (Gravity energy wheel): उन्होंने दुनिया का पहला 'वेट ऑपरेटेड गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा चक्र (Gravity energy wheel)' मॉडेल बनाया जिसका उपयोग गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा पर शोध में किया जा सकता है। इस मॉडल ने दिखाया कि बहुत कम मात्रा में बाहरी ऊर्जा का उपयोग करके पहिये के गुरुत्वाकर्षण के केंद्र (center of gravity) को लगातार बदलते रखा जा सकता है और इस प्रकार गुरुत्वाकर्षण का लाभ उठाकर पहिये को घुमाया जा सकता है। इस प्रकार कम ऊर्जा की लागत से ज्यादा ऊर्जा प्राप्त करना संभव है। [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98]

नए खेल प्रकार संपादित करें

श्रीपाद वैद्य ने विभिन्न नए खेलों की रचना की है। [79] [99] [100] ये खेल नए खेलों के विश्वकोश में दर्ज है। [101] [11] [102] [103] [104] [105] [14]

  • दिशा (Disha)[106] [101] ,
  • लकचेज (Luckchase)[107]
  • थ्री इन वन रेस (Three in one race)[108]
  • खोगोस्का (Khogoska)
  • वन इन टेन (One in ten)
  • बॉलपाथर (Ballpather)
  • बाउन्सरबास्क (Bouncerbask)
  • मेसडेबॉल (Masedeball)
  • सिलेजम (Silejum)
  • स्पेक्थो (Spekthow)
  • बॉलकेन्चे (Ballkenche)
  • काइटोस्किल(Kaaitoskill)
  • बॅट्थ्रोबॉल (Batthroball)
  • सीडबॉलर (Seedballer)
  • ट्विनबॅटिंग (Twinbatting)[109]
  • गणितीय खेल - मॅथेस्पो (Mathespo)

विक्रम प्राप्त स्पोर्टिंग चॅलेंजेस संपादित करें

इन स्पोर्टिंग चॅलेंजेस द्वारा चुनौती देनेवाले वृत्ति को संरचनात्मक मार्ग मिलता है जिस वजह से समाज में शांति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस संबंध में, उन्होंने उन लोगों के लिए विभिन्न खेल चुनौतियों के महत्व की ओर इशारा किया जो महंगे खेलों से वंचित हैं और घर पर आसानी से उपलब्ध उपकरणों के साथ खेलकर विश्व स्तर पर अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकते हैं। वह कई खेल चुनौतियों के ओरिजिनेटर (originator) हैं। खेल भावना को बढ़ावा देनेवाले उनके राष्ट्रीय और विश्व रिकॉर्ड के संदर्भ में विभिन्न चुनौतियों को दुनिया भर में प्रदर्शित किया गया है। [22] [30] [110] [111] [112] [113] उदाहरण के तौर पर :

  • मोस्ट रबर बॅन्ड्ज स्ट्रेच्ड ओव्हर द फेस इन वन मिनिट (Most rubber bands stretched over the face in one minute) [111] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [45] [121] [122] [123] [124] [125] [126]
  • मोस्ट ड्राइड पीज मुव्ह्‌ड इन वन मिनिट यूजिंग अ स्ट्राॅ (Most dried peas moved in one minute using a straw) [112] [120] [45] [121] [122] [123] [124] [126] [127]
  • मोस्ट स्पून्स बॅलेन्स्ड ऑन द फेस (Most spoons balanced on the face) [120] [45] [121] [122] [128] [123] [124] [129] [125] [126]
  • द लाँगेस्ट पेपर क्लिप चेन इन ३० सेकंड्स (The longest paper clip chain in 30 seconds) [126] [130] [131] [132] [108]
  • फास्टेस्ट पेपर क्लिप चेन इन वन मिनिट (Fastest paper clip chain in one minute) [133]
  • फास्टेस्ट कॉइन स्टॅकिंग इन वन मिनिट (Fastest coin stacking in one minute) [134] [135]

नवाचार संपादित करें

  • इको-इन्नोव्हेशन्स : उनके 50 से अधिक निसर्गमित्र नवाचारों (Eco-innovations Galore) के कारण 2009 के रिकॉर्ड बुक में उनका नाम दर्ज हुआ। वह निसर्गमित्र नवाचार (Eco-innovations) के विकास के लिए दुनिया के पहले रिकॉर्ड धारक वीक्रमवीर हैं। [78] [136] [137] [80] [81] [83] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149][150][151]उन्होंने पर्यावरण के लाभ के लिए 100 से अधिक नवाचारों का आविष्कार किया जिसमें 'पेड़ लगाने की बांडगुल तकनीक', 'ग्रीन बॉक्स वनीकरण तकनीक', 'बीज मूर्ति', और 'भूकंप प्रतिरोधी बांस की दीवार' (जिसमें रेत की जगह राख का विकल्प शामिल है) और ये सब नवाचार इन्नोव्हेशन डाटाबेस में दर्ज है। [101] उन्होंने गाजर घास में नमक जैसे रसायन की खोज की। [152]
  • मच्छर कीड़ा जाल (Mosquito Larva Trap) : उन्होंने सब इस्तेमाल कर सके ऐसा, प्रतिकृतिगत, कम लागत वाला, निसर्गमित्र मच्छर कीड़ा जाल का आविष्कार किया। यह जाल मच्छरों को फसाने हेतु उनके जीवन चक्र का उपयोग करता है।  उनका ये आविष्कार बिना किसी ऊर्जा का उपयोग किए और बिना किसी प्रदूषण के मच्छरों को नियंत्रित करने में सक्षम है। [24] [153] [154] [155]
  • युरीन कलेक्शन सेंटर्स : खुले में पेशाब करने पर रोक लगाने में उपयोगी ऐसी पर्यावरण और मानव हित में रहनेवाला नवाचार उन्होंने २०११ साल के पहले ही पेश किया जिसे नवाचार के डाटाबेस में स्थान प्राप्त है। आज आशावाद बढ़ रहा है कि ऐसी संकल्पनाओं का उपयोग अपशिष्ट प्रबंधन में किया जा सकता है। कृषि के लिए उपयुक्त यूरिया के उत्पादन में मूत्र से प्राप्त यूरिया का उपयोग हो सकता है। [39] [156] [157]

निसर्गपूजा (Eco-worship) संपादित करें

  • इकोवर्शिप प्रसार  : आराध्य वृक्षों के माध्यम से इकोवर्शिप याने निसर्गपूजा का प्रसार करनेवाला दुनिया का पहला नक्षत्रवन वृक्षारोपण उन्होंने नागपुर में किया। [158] [159] [160] [161] [162] उन्होंने प्रकृति के प्रति सम्मान और प्रकृति के प्रति संरक्षणभाव को बढ़ाने के उद्देश्य से तबतक नामस्वरुप / निर्गुणस्वरूप में ही रहें निसर्गदत्त नामक देवता की सगुणस्वरूप में मूर्ति पूजा दुनिया में पहली बार महाराष्ट्र के नागपुर में प्रारंभ की। इस निसर्गदत्त प्रकृति पूजा के माध्यम से हमारे चारों ओर की प्रकृति ही ईश्वर का सच्चा स्वरूप है यह भावना बढ़कर निसर्गपूजा संकल्प के माध्यम से निसर्ग संवर्धन होता है, जो आज के समय की अत्यावश्यकता है। नक्षत्रवन इकोवर्शिप से संबंधित उनके विश्व रिकॉर्ड के वजह से व्यक्ति अनुरूप आराध्य वृक्षारोपण के संकल्पना की दुनिया में एक नई पहचान निर्मित हुई। परिणामस्वरूप, दुनिया भर के विभिन्न स्थानों में आराध्य वृक्षारोपण को संदर्भ प्राप्त होकर वृक्षारोपण को बढ़ावा मिला। [163] [11] [104] [105] [103] [102] [164] [165] [166]
  • निसर्गपूजा लेखन : प्रकृति उपासना पद्धति को हर किसी के लिए समझने में आसान बनाने और अनुकरण के माध्यम से प्रकृति संरक्षण के कार्य को सफल बनाने के उद्देश्य से उन्होंने निसर्गपूजा का लेखन किया। [106] [107] [167] [168]

विज्ञान के संबंध में संपादित करें

  • पर्यावरणीय सिद्धान्त: उन्होंने कुल चार पर्यावरणीय सिद्धांतों की खोज की। [169] [170] [171] [172] वे इस प्रकार हैं:
  1. पर्यावरणीय सहिष्णुता सिद्धान्त (Theory of Environmental Bearability): जब कोई सजीव पर्यावरणीय परिवर्तनों का अल्पकाल के लिए या फिर अल्प प्रभाव में अनुभव करता है तब उस सजीव में उन पर्यावरणीय परिवर्तनों से अनुकूल होने के लिए अल्प मात्रा में परिवर्तन होते है। लेकिन, जैसे ही इस तरह के पर्यावरणीय प्रभाव समाप्त हो जाते हैं, जीवों में उनके कारण होने वाले परिवर्तन गायब हो जाते हैं और जीव फिरसे पूर्ववत स्थिति में आ जाता है। यह तभी होता है जब ये पर्यावरणीय प्रभाव जीव की सहनशीलता की सीमा से अधिक न हों। उदाहरण : ठंड में बाहर घूमते समय दस्ताने न पहनने पर हाथ सूज सकते हैं, लेकिन घर के गर्म वातावरण में लौटने पर हाथों की स्थिति ठीक हो जाती है।
  2. पर्यावरणीय प्रतिरोध सिद्धान्त (Theory of Environmental Opposition): यह सिद्धांत तब लागू होता है जब किसी सजीव पर पर्यावरणीय प्रभाव उसकी शारीरिक सहनशीलता से अधिक हो जाता है। जब किसी जीव पर कोई पर्यावरणीय प्रभाव उस जीव के शरीर की सहनशीलता सीमा से अधिक प्रभाव में या फिर अधिक ज्यादा अवधि के लिए होता है, तो ऐसे दीर्घकालिक या तीव्र प्रभाव उस जीव के शरीर में कुछ परिवर्तन का कारण बनते हैं। लेकिन उसके बाद जीवित शरीर प्रतिक्रिया देते हुए उस परिवर्तन से भी ज्यादा हद तक विपरीत परिवर्तन पैदा करते हुए पर्यावरणीय प्रभावों के कारण शरीर में होने वाले परिवर्तनों को उलट देता है। इस कारण पर्यावरणीय प्रभाव से जो स्थिति दिखनी चाहिए थी उससे पूर्णतः विरोधी स्थिति में सजीव का शरीर आता है। उदाहरण : सहनशीलता से अधिक थंड में घूमने से शरीर का तापमान अस्थायी रूप में कम होने का पर्यावरणीय प्रभाव दिखाएगा। लेकिन बाद में शरीर द्वारा जो प्रतिक्रिया होगी उसकी वजह से पर्यावरणीय प्रभाव के परिणाम को उलट दिया जाएगा और शरीर का तापमान कम होने के बजाय बढ़ जाएगा। इस प्रकार थंड लग जाने से शरीर का संतुलन बिगड़ने का अनुभव सर्वसाधारण है। इसी प्रकार जब सजीव के शरीर पर सहनशीलता से ज्यादा प्रभाव में प्रहार होता है तब उस प्रहार के परिणामस्वरुप शरीर पर छाप पड़ती है (शरीर अल्प अवधि के लिए दबता है)। लेकिन बाद में शरीर प्रतिक्रिया देते हुए, एकदम ही विरोधी स्थिति में आता है जिससे शरीर दबा हुआ दिखने के बजाय सूज कर फूल जाता है।
  3. पर्यावरणीय विनाश सिद्धान्त (Theory of Environmental Destruction): जब किसी जीव पर पर्यावरणीय प्रभाव असहनीय होते हैं और बहुत लंबे समय तक (असहनीय अवधि के लिए) काम करते हैं, तो ऐसे प्रभाव जीव के शरीर में स्थायी परिवर्तन का कारण बनते हैं और जीव द्वारा कोई प्रभावी उलटा प्रभाव उत्पन्न नहीं किया जा सकता है। उदाहरण : असहनीय हिमनदों या बर्फीले पानी में गिरने से शरीर का तापमान बहुत कम हो जाता है लेकिन शरीर इस स्थिति को कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकता और कोई उलटा परिवर्तन नहीं कर सकता।
  4. पर्यावरणीय सृजन सिद्धान्त (Theory of Environmental Creation) : जब किसी सजीव के शरीर पर ऐसा पर्यावरणीय प्रभाव पडता है, जो की बहुत अल्प मात्रा में लेकिन लंबे समय तक प्रभावी रहता है और जिस पर शरीर का विशेष ध्यानाकर्षण नहीं होता है, तो सामान्य परिस्थितियों में ऐसा पर्यावरणीय प्रभाव जीव के शरीर पर परिवर्तन लाता है और शरीर उसपर कोई प्रतिक्रिया भी नहीं देता। उदाहरण : उष्ण प्रदेश से ठंडे प्रदेश में या फिर ठंडे प्रदेश से उष्ण प्रदेश में स्थानांतरित हुए लोगों के त्वचा की वर्णछटा में लंबे समय के बाद फर्क दिखाई देता है। किसी व्यक्ति के शरीर के उस भाग के रंग में भी अंतर होता है जो लगातार कपड़ों से ढका रहता है और जो भाग कपड़ों से ढका नहीं होता है क्योंकि जो त्वचा का भाग कपड़ों से ढका नहीं होता उसपर पर्यावरणीय प्रभाव बहुत ही अल्प मात्रा में लेकिन लंबे समय तक होते रहते है।
  • पर्यावरणीय इलेक्ट्रोपॅथी विज्ञान : पर्यावरणीय इलेक्ट्रोपॅथी विज्ञान पर अपने संशोधन में, उन्होंने इलेक्ट्रोपॅथी के विज्ञान में उल्लिखित विदेशी पौधों के बजाय उनके विकल्प में देशी पौधों की १२८ प्रजातियों की खोज की। उनकी खोज देशी पौधों के वृक्षारोपण के साथ-साथ स्थानीय अनुसंधान और विकास के लिए उत्प्रेरक थी। श्रीपाद वैद्य इलेक्ट्रोपॅथी के विकास के लिए दुनिया के पहले भारतीय इन्नोव्हेटर / नवनिर्मितिकार बने, और साथ ही इलेक्ट्रोपॅथी के लिए दुनिया के पहले विश्व रिकॉर्ड धारक (world record holder) भी बने। [173] [174] [175][176]

साहित्य और लेखन के संबंध में संपादित करें

  • निसर्ग संवर्धन के उद्देश्य से श्रीदेव निसर्गदत्त निसर्गपूजा पद्धती की रचना का लेखन करनेवाले वे दुनिया के पहले ज्ञात लेखक है। [166]
  • उन्होंने बहुत दीर्घ ३५५ शब्दों का शीर्षक है ऐसे निसर्गकविता के किताब का लेखन किया है। [177] [178] [179] [180] [181] [182] [34] [183] [148] [184] [185] [186]
  • वह हिंग्लिश (Hinglish) भाषा के लिए विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले पहले कवि है। उन्होंने निसर्ग / nature इस विषय पर ३७५१ शब्दों के कविता को रचा जिसमें श्रृंगाररस, भक्तिरस, रौद्ररस, इत्यादि रस सामाविष्ट है। [187] लाँगेस्ट पोएम अबाउट नेचर रिटन इन हिंग्लिश (Longest poem about nature written in Hinglish) यह विश्वविक्रम।[188]
  • पर्यावरण जागरूकता के लिए उनके द्वारा लिखे गए विभिन्न लेख और कविताएँ प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुकी हैं। [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [106] [165] [204] [107] [205] [206]
  • उन्होंने विभिन्न किताबे लिखी है। [85] [34] [145] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183]
  • उन्होंने सबसे छोटी (5 अक्षर का एक शब्द) वसीयत लिखने का रिकॉर्ड बनाया है। [207] [208] [209] [210]
  • उन्होंने नए शब्द (विकासावलंबी [31], सेवासमृद्ध [37], आदि) एवं सुविचारों (“एकसारखे संरचनात्मक प्रयत्न हे स्वत:च एक निर्णय असतात [197]", आदि) का लेखन किया है।

कला के संबंध में संपादित करें

'कॉईन स्टॅकिंग आर्ट' इस कलाप्रकार में उन्होंने विविध प्रयोग यशस्वी किए जिनके अलग-अलग विश्वविक्रम भी स्थापित हुए। [41] [42] [2] प्रति मिनट ७३ सिक्कों का दुनिया का सबसे तेज स्टैकिंग रिकॉर्ड उनके नाम पर दर्ज है। [135] [136] उन्होंने कॉईन स्टॅक्ड खड़ी थ्री-डी शब्दरचना (Vertical 3D coin structure of 'HI' - LBR 2019), श्री गणेश स्वरूप की रचना, आदि जैसे नवाचारों की शुरुआत करके इस कला को आगे बढ़ाने की कोशिश की। [211] [212] [213] [214] [215]

अन्य सहभाग एवं सहयोग संपादित करें

  • पर्यावरण वाहिनी सदस्य: मार्च १९९३ से अगले दो वर्षों के लिए, वह नागपुर जिला पर्यावरण वाहिनी (पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार) के मानद सदस्य थे। इस दौरान उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण के लिए, विशेष रूप से जल प्रदूषण को कम करने के लिए अथक प्रयास किए। [191] [216] [217] [195] [218] [140] [141] [142] [144] [219]
  • युनायटेड नेशन्स एनव्हायर्नमेंट प्रोग्राम (UNEP) के जागतिक पर्यावरण दिवस (World Environment Day) कार्यक्रम के संकल्प सहभाग के लिए उनको प्रशंसा पत्र मिले है। [220] [51]
  • पर्यावरण और शिक्षा क्षेत्र से संबंधित सेवाभावी संस्थांओं के कार्य में उनका बहुमूल्य सहयोग रहा है।
  • पर्यावरण हित में शाकाहार, जीवदया और निर्व्यसनी (गैर व्यसनी) जीवनशैली के वे पैरोकार रहें है। [221] [222] [223]
  • 'फ्रेंडलिएस्ट डे ऑफ द इयर' इस विश्वविक्रम में वे सहभागी थे। [108]
  • मोझिला सर्टिफिकेट ऑफ थँक्स टू हेल्प सेट अ वर्ल्ड रेकॉर्ड (१७ जून २००८) [147]
  • नॅशनल जिओग्राफिक - द ग्रेट नेचर प्रोजेक्ट इनके 'लार्जेस्ट ऑनलाईन फोटो अल्बम ऑफ ॲनिमल्स' इस विश्वविक्रम में उनका सहभाग रहा।
  • मोस्ट 'टाईम्स ऑफ इंडिया - नागपूर एडिशन' न्यूजपेपर्स कलेक्टेड इन वन इयर (Most 'Times of India - Nagpur Edition' newspapers collected in one year) [224] यह अभिनव सुर्खियों के संग्रह का विश्व रिकॉर्ड उनके नाम है।
  • 'सेल्फी विथ ट्री कॉन्टेस्ट - २०१६' इस राष्ट्रीय विक्रम प्राप्त कार्य में वृक्षारोपण करके सहभाग।[225]
  • २०१८ साल के गिनीज बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में अमेझिंग बॉडीज् (Amazing Bodies) इस स्तंभ में उनका नाम दर्ज है।[226]
  • विक्रमों का शतक बनानेवाले वे पहले नागपूरी है (The first Nagpurian to become the centurion of records [100] )। [17] [18] [19] पर्यावरणीय मानव विकास का संदेश देनेवाला यह इस प्रकार का दुनिया का पहला विक्रमी शतक है। [227] [228]

पुरस्कार संपादित करें

श्रीपाद वैद्य की जीवनी प्रकाशित पुस्तकें संपादित करें

  • हूज हू इन द वर्ल्ड - २६वां संस्करण - २००८ [149]
  • हूज हू इन द वर्ल्ड - २७वां संस्करण - २००९
  • हूज हू इन द वर्ल्ड - २८वां संस्करण - २०१०
  • हूज हू इन सायन्स ॲन्ड इंजिनियरिंग - ११वां संस्करण - २०१०
  • हूज हू इन द वर्ल्ड - ३०वां संस्करण - २०१२
  • हूज हू इन द वर्ल्ड - ३१वां संस्करण - २०१३ [127] [247] [131] [132]
  • हूज हू इन द वर्ल्ड - ३२वां संस्करण - २०१४
  • हूज हू इन द वर्ल्ड २०१६
  • हूज हू इन सायन्स ॲन्ड इंजिनियरिंग २०१६
  • हूज हू इन द वर्ल्ड २०१९ [16]
  • हूज हू इन द वर्ल्ड २०२० [42] [41]


संदर्भ संपादित करें

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