श्रीमद राजचन्द्र
जैन कवि, दार्शनिक और विद्वान
श्रीमद राजचन्द्र, जन्म रायचन्दभाई रावजीभाई मेहता, एक जैन कवि, दार्शनिक और विद्वान थे। उन्हें मुख्यतः उनके जैनधर्म शिक्षण और महात्मा गांधी के आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में जाना जाता है।[1][2]
राजचन्द्र | |
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जन्म |
रायचन्दभाई मेहता 9 नवम्बर 1867 वावानिया पोर्ट, गुजरात |
मौत |
अप्रैल 9, 1901 राजकोट, गुजरात |
पेशा | जैन विद्वान, दार्शनिक और आध्यात्मिक नेता |
धर्म | जैन धर्म |
माता-पिता | रावजीभाई |
वेबसाइट www |
महात्मा गांधी जी ने अपनी आत्मकथा "सत्य के साथ प्रयोग" में इनका विभिन्न स्थानों पर उल्लेख किया हैं।उन्होंने लिखा कि " मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव डालने वाले आधुनिक पुरुष तीन हैं: रायचंद्र भाई अपने सजीव संपर्क से, टॉलस्टॉय 'वैकुंठ तेरे हृदय में है' नामक अपनी पुस्तक से और रस्किन 'अन्टू दिस लास्ट- सर्वोदय' नामक पुस्तक से "[3]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ मोहनदास के॰ गाँधी (1929). सत्य के प्रयोग (PDF). राजपाल एंड सन्स. ISBN 978-81-7028-728. मूल से (PDF) से 19 अगस्त 2013 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 14 नवंबर 2013.
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: ISBN / Date incompatibility (help) - ↑ प्रियदर्शी, राजेश (2017-06-30). "वो शख़्स जिन्होंने गांधी को दूध पीने से रोका था". BBC News हिंदी. 7 जुलाई 2018 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 2020-04-26.
- ↑ M.k.gandhi (1957). Satya Ke Prayog (1957).