संगीत कल्पतरु स्वामी विवेकानन्द तथा वैष्णव चरन बसक द्वारा सम्पादित एवं संग्रहीत बांग्ला गीतों का एक संग्रह है। यह पुस्तक १८८७ के अगस्त या सितम्बर माह में आर्य पुस्तकालय कोलकाता से पहली बार प्रकाशित हुई थी। पुनः १९६३ में स्वामी विवेकानन्द के जन्म शताब्दी के अवसर पर यह पुस्तक 'संगीत साधनाय बिबेकाननद ओ संगीत कल्पतरु' नाम से प्रकाशित की गयी।[1][2][3][4] इस पुस्तक में रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित १२ गीत संग्रहीत हैं।

संगीत कल्पतरु
चित्र:Sangeet Kalpataru front cover.jpg
मुखपृष्ठ
लेखकस्वामी विवेकानन्द
वैष्णव चरण बसक
मूल शीर्षकসঙ্গীত কল্পতরু
भाषाबांग्ला
विषयबांग्ला संगीत का संग्रह
प्रकाशित1887
'संगीत साधनाय बिबेकानन्द ओ संगीत कल्पतरु' नाम से पुनः प्रकाशित (1963)
प्रकाशन स्थानभारत
गान वर्ग रचयिता राग ताल
याबे कि हे दिन बिफले चलिये ब्रह्मसंगीत मुलतान एकताल
मन चल निज निकेतने ब्रह्मसंगीत सुरात मल्लार एकताल
गगनेर थाले रबि चन्द्र दीपक ज्बले ब्रह्मसंगीत रबीन्द्रनाथ ठाकुर[5] जयजयन्ती झाँपताल
मलिन पङ्किल मने केमने डाकिब तोमाय भक्तिगीति बिजयकृष्ण गोस्बामी मुलतान आधाठेका
बिपद भय बरण ये करे ओरे मन भक्तिगीति यदुभट्ट छायानट झाँपताल
देखिले तोमार सेइ अतुल प्रेम आनेना भक्तिगीति गगनेन्द्रनाथ ठाकुर बाहार एकताल
तुमि आमार बन्धु, की बलि तोमाय नाथ कीर्तन
अज्ञात
डुब डुब डुब रूपसागरे आमार मन बाउल गान
अज्ञात
प्रभु म्याय गुलाम, म्याय गुलाम, म्याय गुलाम तेरा भजन
अज्ञात
  1. Chattopadhyaya 1999, पृ॰ 33.
  2. Society 1986, पृ॰ 51.
  3. The Institute 2002, पृ॰ 261.
  4. Chatterjee 1980, पृ॰ 166.
  5. Dey 1990, पृ॰ 96.