मनोविज्ञान में, संज्ञानवाद (cognitivism) मन को समझने का एक सिद्धान्त है जो १९५० के दशक में सामने आया। इस आन्दोलन का जन्म व्यवहारवाद के विरोधस्वरूप हुआ क्योंकि संज्ञानवादियों का मानना था कि व्यवहारवाद, संज्ञान (cognition) की व्याख्या करने से बचता रहा था। संज्ञानात्मक मनोविज्ञान (cognitive psychology) सूचना का प्रसंस्करण करने वाला मनोविज्ञान है और कुछ अंश तक पहले की उन परम्पराओं से व्युत्पन्न हुआ है जिनमें विचारों की तथा समस्याओं के हल करने की प्रक्रिया की जाँच-पड़ताल की जाती थी।

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