प्राकृतिक रूप से प्राप्त यूरेनियम में यूरेनियम-२३५ की मात्रा केवल ०.०७% होती है शेष 99.284% यूरेनियम-२३८ होता है। जिस यूरेनियम में यूरेनियम-२३५ का की प्रतिशत मात्रा किसी विधि से बढ़ा दी गयी हो उसे संवर्धित यूरेनियम (Enriched uranium) कहते हैं। U-235 ही प्राकृतिक रूप से प्राप्त एकमात्र आइसोटोप (समस्थानिक) है जो उष्मीय न्यूट्रानों (thermal neutrons) द्वारा विखंडित हो सकता है।

प्राकृतिक एवं संवर्धित यूरेनियम में U-238 (नीला) तथा U-235 (लाल) के अनुपात

संवर्धित यूरेनियम नाभिकीय रिएक्टर बनाने अथवा सैन्य हथियार (परमाणु बम) बनाने के लिये अति आवश्यक है। अन्तरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेन्सी विश्व भर में संवर्धित यूरेनियम पर नजर रखती है।

अल्प संवर्धित यूरेनियम

इसमें यूरेनियम-२३५ की मात्रा २०% से कम होता है। सामान्यतः ३ से ५ % यूरेनियम-२३५ होती है। यह नाभिकीय रिएक्टर के लिए उपयुक्त होती है।

अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम

इसमे यूरेनियम-२३५ की मात्रा २० % से लेकर ८० % तक होती है। यह नाभिकीय अस्त्रों के विकास के लिए उपयुक्त होती है।

यूरेनियम संवर्धन की विधियाँ

संपादित करें
 
अमेरिका के एक संवर्धन संयंत्र में लगे अपकेंद्रित्रों की शृंखला
  • गैसीय विसरण
  • तापीय विसरण
  • गैस अपकेन्द्रित्र
  • जिप्प अपकेन्द्रित्र (Zippe centrifuge)
  • परमाणु वाष्प लेजर द्वारा विखण्डनीय समस्थानिक को अलग करना (AVLIS)
  • आण्विक लेजर समस्थानिक परिष्करण (MLIS)
  • लेजर उत्तेजन द्वारा समस्थानिकों का परिष्करण (SILEX)
  • अन्य विधियाँ
  • वायुगतिकीय प्रक्रम (Aerodynamic processes)
  • विद्युताचुम्बकीय समस्थानिक परिष्करण
  • रासायनिक विधियों से परिष्करण
  • प्लाज्मा द्वारा परिष्करण

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें