सच की दीवार
सच की दीवार (पंजाबी: ਸੱਚ ਦੀ ਕੰਧ, सच्च दी कंध) १९८४ के सिख विरोधी दंगों के दौरान मारे गए सिखों के लिए नई दिल्ली, भारत में एक स्मारक है। स्मारक भारत की संसद के पास गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब परिसर में लुटियंस दिल्ली में स्थित है।[1] जून २०१३ में आधारशिला रखी गई थी, नवंबर २०१४ में निर्माण कार्य शुरू हुआ और १५ जनवरी २०१७ को स्मारक का उद्घाटन किया गया।[2][3] स्मारक परिसर को सिख नरसंहार स्मारक के रूप में भी जाना जाता है। [4] इसे दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तहत बनाया गया है।[3]
सच की दीवार ਸੱਚ ਦੀ ਕੰਧ | |
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१९८४ को गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब के परिसर में हुए सिख नरसंहार का स्मारक | |
निर्देशांक | 28°37′11″N 77°12′19″E / 28.6198457°N 77.2052152°Eनिर्देशांक: 28°37′11″N 77°12′19″E / 28.6198457°N 77.2052152°E |
स्थिति |
गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब परिसर नई दिल्ली, दिल्ली, भारत |
निर्माण आरंभ | २०१४ |
निर्माण पूर्ण | १५ जनवरी २०१७ |
समर्पित | परिवारों द्वारा पीड़ितों की याद में बनाया गया स्मारक |
लम्बी प्रतीक्षा के बाद साढ़े तीन साल की कड़ी मेहनत और ₹२.२५ करोड़ की लागत के बाद गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब परिसर में १९८४ के सिख नरसंहार के स्मारक "सच की दीवार" को मानवता को समर्पित किया गया। इससे पहले दिल्ली में इंदिरा गांधी के तीन स्मारक थे, जबकि नरसंहार में मारे गए सिखों का कोई स्मारक नहीं था। त्रिलोकपुरी दंगों में सिखों की हत्या करने के दोष में ८८ आरोपियों को ३ से ५ साल की सजा सुनाई गई थी।
नामों में दंगों के दौरान मारे गए सिख सैनिकों और दंगों के दौरान सिखों को बचाने के लिए मारे गए हिंदू और मुसलमान समुदाय के तीन लोगों के नाम शामिल हैं।[5] ये दंगे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के थे।[6] सच की दीवार में घृणित अपराधों में दुनिया भर में मारे गए सभी सिखों के नाम भी सूचीबद्ध हैं, चाहे वो अमेरिका और कनाडा के उत्तरी अमेरिकी देशों में हों, जिनमें मिल्वौकी में ओक क्रीक गुरुद्वारे में मारे गए लोग शामिल हैं, या फिर वो अफगानिस्तान में हो।[7] इसमें चित्तिसिंहपुरा नरसंहार जैसी घटनाओं में मारे गए सिखों के नाम भी शामिल हैं।[8]
संदर्भ
संपादित करें- ↑ Pandit, Ambika (1 November 2016). "'Wall of truth' to tell you 1984 riots' story by Nov-end". The Times of India. अभिगमन तिथि 2019-09-24.
- ↑ "The Wall of Truth opens". The Tribune. 16 January 2017. मूल से 24 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 September 2019.
- ↑ अ आ PTI (2017-01-07). "32 Years Later 'The Wall Of Truth' Memorial In Delhi For 1984 Sikh Riots Victims Finally Complete". ScoopWhoop (English में). अभिगमन तिथि 2021-09-23.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ Nibber, Gurpreet Singh (2013-06-12). "Foundation stone of 1984 Sikh genocide memorial laid". Hindustan Times. अभिगमन तिथि 2021-09-24.
- ↑ Qazi, Sehar (7 January 2017). "In pictures: The Wall of Truth, a memorial for victims of 1984 anti-Sikh riots". CatchNews.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-09-23.
- ↑ "1984 Sikh Genocide Memorial Opens In Delhi In Two Days". Sikh24.com (अंग्रेज़ी में). 2017-01-13. अभिगमन तिथि 2021-09-24.
- ↑ "'Wall of Truth' to have names of all Sikhs killed in hate crimes: DSGMC". Hindustan Times. 10 July 2018. अभिगमन तिथि 2019-09-24.
- ↑ Singh, IP (9 July 2018). "Sikh massacre memorial near Parliament now to have names of Sikhs killed in hate crimes across the globe". The Times of India. अभिगमन तिथि 2021-09-24.
आगे की पढाई
संपादित करें- PTI (2017-01-15). "Plaques blaming Indira Gandhi, Rajiv Gandhi for 1984 Sikh riots at Delhi memorial". DNA India.सीएस1 रखरखाव: authors प्राचल का प्रयोग (link)
- "1984 anti-Sikh riot killing memorial: NDMC warns of action against DSGMC". The Economic Times. PTI. 12 June 2013. अभिगमन तिथि 2021-09-24.