सतलोक शब्द का वर्णन कई भारतीय संतों की अलौकिक वाणी मे मिलता है। मुख्यतया भक्तिकाल के संतों सतगुरु कबीर साहेब जी, संत रविदास जी, संत गरीब दास जी, संत दादूदयालजी, गुरू नानकजी की अलौकिक वाणी में सतलोक शब्द का वर्णन है। श्रीमद्भगवद्गीता मे इसी अलौकिक स्थान को शाश्वत स्थान कहा गया है।[1]

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