सत्यमेव जयते
भारत राष्ट्र का आदर्श वाक्य
सत्यमेव जयते (संस्कृत विस्तृत रूप: सत्यम् एव जयते) भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है।[1] इसका अर्थ है : सत्य ही जीतता है / सत्य की ही जीत होती है। यह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे देवनागरी लिपि में अंकित है। 'सत्यमेव जयते' मूलतः मुण्डक-उपनिषद का सर्वज्ञात मंत्र ३.१.६ है।[1] पूर्ण मंत्र इस प्रकार है:

- सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
- येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत्सत्यस्य परमं निधानम्॥[2]
अंततः सत्य की ही जय होती है न कि असत्य की। यही वह मार्ग है जिससे होकर आप्तकाम (जिनकी कामनाएं पूर्ण हो चुकी हों) ऋषीगण जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।.[3]
'सत्यमेव जयते' को राष्ट्रपटल पर लाने और उसका प्रचार करने में मदन मोहन मालवीय (विशेषतः कांग्रेस के सभापति के रूप में उनके द्वितीय कार्यकाल (१९१८) में) की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ Department related parliamentary standing committe on home affairs (2005-08-25). One hundred and sixteenth report on the state emblem of India (Prohibition of improper use) Bill, 2004. नई दिल्ली: Rajya Sabha Secretariat, नई दिल्ली. p. 6.11.1. http://164.100.47.5/book2/reports/home_aff/116threport.htm. अभिगमन तिथि: 2008-09-26
- ↑ Sanskrit Documents. "muṇḍakopaniṣat". Archived from the original on 23 जनवरी 2011. Retrieved 17 नवंबर 2010.
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(help) - ↑ Swami Krishnananda. "The Mundaka Upanishad:Third Mundaka, First Khanda". Archived from the original on 21 दिसंबर 2010. Retrieved 17 नवंबर 2010.
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