श्री राम आरती


आरति रामचंद्र की कीजै।

नयन विलोकि रूप रस पीजै।

श्यामल तन पीतांबर धारी।

कमलनयन संतन हितकारी।

दीनन के दुख को हरि लीजै।

आरति रामचंद्र की कीजै।।

कनक मुकुट तुलसी प्रिय रामा।

कोटि काम द्युति तन अभिरामा।

अपनी चरण शरण मोहि दीजै।

आरति रामचंद्र की कीजै।।

धनुष बाण कर मस्तक चंदन।

वेदसार तुम दशरथ नंदन।

हर अज्ञान ज्ञान वर दीजै।

आरति रामचंद्र की कीजै। ।

कानन कुण्डल नूपुर चरणा।

इषुप्रिय करुणाकर मन हरणा।

हनुमत अनुज सहित सिय की जै।

आरति रामचंद्र की कीजै।।

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अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'