तसव्वुर में जो आये वो ख्याल लिख देता हूँ मैं आँखों को उसकी ओंस की बूंद से भीगा गुलाब लिख देता हूँ |

ये अंदाज़-ए-इश्क है या फिर उसकी कमी का अहसास जो उसके बिना भी उसके बारे में पूरी किताब लिख देता हूँ |

यूं ही मिल जाते है अक्सर फुर्सत के कुछ लम्हे मुझे उन्ही लम्हों में उसकी दास्ताँ लिख देता हूँ |

रंजिसे नहीं किसी से अब ना किसी से कोई शिकवा रहा दिल में जो आये वही बात लिख देता हूँ |

मुश्किल होता है बहुत अपने अल्फाजो को गीतों में पिरोना की आज देखो मैं उसके लिए अपनी ग़ज़ल लिख देता हूँ |

मालूम होती है जिंदगी में कमी उसकी की उसके लिए अपनी आँखों में खवाब संजोके रखता हूँ |

मिल जाएँगी जिस रोज़ उनसे नजरे मेरी तो सोचता हूँ अंदाज़-ए-मुलाकात क्या होगा उस दिन ,

इसी के वास्ते में नजरों को अपनी झुका के चलता हूँ |

किसी धर्म , जात , इमान , दौलत या रुतबे से बड़ी होती है मोहब्बत लो आज मैं मोहब्बत में तुजे खुदा लिख देता हूँ |

जिंदगी भर का साथ नहीं चाहिए मुझे तेरा की कुछ पलों की गुफ्तगु पे तेरी अपनी सारी उम्र तमाम लिख देता हूँ |

अगर पसंद आये मेरी गुजारिश तो चन्द अल्फाज फरमाना दोस्तों , आपके सभी अल्फाजो के लिए मैं [[1]] लिखता हूँ |