सदस्य:आकाश २/प्रयोगपृष्ठ
नमस्कार! मेरा नाम आकाश गुरबानी है। मैं कोलकाता, भारत का रहने वाला हूँ। मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु मे बीए (ट्रिपल मजोर्स) में पहले साल के अपने पहले सेमेस्टर में हूँ। मैं आप सबको अपने बारे में कुछ जानकारी देना चाहूँगा |
पृष्ठभूमि
संपादित करेंमेरा जन्म राजस्थान के शहर अजमेर में हुआ था | अजमेर को राजस्थान का दिल भी कहा जाता है । अजमेर एक छोटा सा शहर है पर उसमे दिल बहुत है। मैने अपने जीवन के १० साल यहाँ बीताए जिसके पश्चात में कोल्कता में आ गया | कोल्कता पश्चिम बंगाल की राजधानी है | आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है।
परिवार
संपादित करेंमेरा परिवार एक मूल परिवार है जिसके सदस्य है मेरे माता-पिता मेरा छोटा भाई और मैं | मेरे पिता का नाम है उमेश गुरबानी और वेह पेशे से एक व्यापारी है | मेरी माँ, आस्था गुरबानी, एक गृहणी है | मेरा छोटा भाई ,जश, मुझसे १३ साल छोटा है और वेह एक मोंटेसरी में पढता है | माना की मेरे परिवार में सिर्फ ४ सदस्य है पर फिर भी हम ख़ुशी और मज़े से रहते हैं |
शिक्षा
संपादित करेंमैंने पांचवी तक अपनी शिक्षा अजमेर के महेशवरी पब्लिक स्कूल से की जिसके पश्चात मैं कोल्कता में आ गया | यहाँ मैंने अपनी माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा बिरला हाई स्कूल से की | और अब मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी मैं मनोविज्ञान, समाज समाज विज्ञान एवं अंग्रेजी में बीए डिग्री की प्राप्ती के लिए बेंगलुरु मे स्थापित हूँ |
रुचियाँ
संपादित करेंमुझे ज्यादातर किताबे पढना, लिखना एवं गायन करना पसंद है | मेरी रूचि टेबल टेनिस के खेल में है | मैं अपना सामय ज्यादातर हिंदी साहित्य की किताबे पढने और कविता रचने में बिताता हूँ | पढाई करना भी मेरी एक रूचि है | इसके अलावा मुझे गाने सुनना और रियाज़ करना पसंद है |
लक्ष्य
संपादित करेंमैंने मनोविज्ञान( परामर्श सेवा) में मास्टर्स करने का तय किया है | मेरा लक्ष्य मानसिक स्वास्थ्य की जागरूकता बढ़ाना और लोगों की मानसिक रूप से सहायता करना है | यह सब से मैं समाज में अपना योगदान देना चाहता हूँ |
उपलब्धियाँ
संपादित करेंमेरे जीवन में कुछ ज्यादा बड़ी उपलब्धियाँ नहीं | अपने विद्यालय में मैं हिंदी वाग्मिता प्रतयोगिता में दो बार अव्वल आया हूँ | मुझे बार्वी में मनोविज्ञान में प्रथम पुरस्कार मिला था | और क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में दाखिला पाना अपनी एक उपलब्धि मानता हूँ