हड़बूजी ने रुणिचा में बाबा रामदेव के समाधि लेने के 8 दिन बाद खुद ने जीवित समाधि ले ली थी ! रामदेव जी के समाज सुधार के लक्ष्य के लिए उन्होंने आजीवन पूर्ण निष्ठा से कार्य किया !

इनके मंदिर का पुजारी सांखला राजपूत होते हैं मंदिर का निर्माण 1721 ई. में जोधपुर महाराजा अजीत सिंह के द्वारा किया गया !

हड़बूजी के मंदिर में किसी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है और जिस बैलगाड़ी से हड़बूजी पंगु और अशक्त गोविंद शौक के लिए घास भरकर लाते थे  ! उसी बैलगाड़ी की उनके भक्तों द्वारा पूजा की जाती है !