आलोक चन्द्र
नई सदी में भारत – चीन संबंध
आज भारत और चीन, जो कि विश्व की जनसख्या के एक-तिहाई भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं, की तुलना करने का एक चलन सा बन गया है । इन दो एशियाई महाशक्तियों के बीच अनसुलझा सीमा-विवाद परस्पर शत्रुता का मूल है ।
दोनों ही एक-दूसरे के रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी हैं, क्योंकि राजनीतिक सोच के टकराव और रणनीतिक उद्देश्यों के चलते दोनों ही एक-दूसरे पर संदेह करते हैं । हाल ही में दक्षिणी चीन सागर में बढ़ती रुचि पर चीन के एतराज एवं दलाई लामा के मुद्दे पर भारत के कठोर रवैये के कारण दोनों देशों के संबंधों में एक बार फिर से कड़वाहट दिखने लगी है ।
हालांकि नई दिल्ली और बीजिंग दोनों ही ने शांतिपूर्ण कूटनीतिक माहौल तैयार कर और उसे बरकरार रखने की पहल की है । इसी पर इन दोनों का आर्थिक उदारीकरण और सुरक्षा निर्भर करती है । यद्यपि दोनों देशों को बांटने वाले मुद्दों को सुलझाने की दिशा में बहुत कम प्रगति हुई है । द्विपक्षीय संबंधों को मुख्यत: तीन मसले प्रभावित करते हैं-सीमा विवाद, तिबत और व्यापार ।