श्री राजपुरोहित 'रघु सेना',(Sri rajpurohit raghu sena),Raghu sena.....

सम्पूर्ण भारत के राजपुरोहित समाज के गौरव और एकता को अक्षुण्ण रखने के लिए ही "रघु सेना" का निर्माण हुआ है,वर्तमान सामाजिक परिदृश्य में जो समाज "संगठित" व "शिक्षित" है वही समाज अपनी अस्मिता और वैभव को स्थिर रख पाया है। राजपुरोहित समाज राजस्थान के जैसलमेर,जोधपुर,बाड़मेर,बीकानेर,पाली सिरोही,नागौर,जालोर,अजमेर,चुरू और अन्य कई जिलों के लगभग ७१२ गाँवो में निवास करता है,सदियों से राजपुरोहित समाज ने राष्ट्र की सेवा में अपनी सहभागिता निभाई है,आज राजपुरोहित सम्पूर्ण भारत में राजकीय सेवा,व्यापार व अन्य कार्यो में महती योगदान दे रहे है, "श्री राजपुरोहित रघु सेना" किसी एक व्यक्ति का प्रयास न होकर सकल राजपुरोहित समाज की युवा ऊर्जा व अनुभवी ज्येष्ठजनों का आव्हान है। सर्व राजपुरोहित समाज की ऊर्जा को अखिल भारतीय स्तर पर घनीभूत करके समाज हित मे लगाना ही इसका सर्वोपरि लक्ष्य है। इसके उद्घोष वाक्य "हर घर वन्दन,जय रघुनन्दन" के द्वारा राजपुरोहित समाज का प्रत्येक व्यक्ति चाहे युवा हो या वरिष्ठ अपने आपको गौरवान्वित अवश्य महसूस करता है,क्योंकि "जय श्री रघुनाथ जी" या "जय ब्रह्माजी की" बोलने वाला स्वतः ही इनसे जुड़ जाता है। रघु सेना संपूर्ण भारत में शनै शनै विस्तारित हो रही है,गाँव/शहर दोनों जगह राजपुरोहितों को एकजुट करके व एकता की शक्ति का उद्भव करके सतत प्रयासरत है। शहरी रघु सैनिक दिल्ली,मुम्बई,कोलकाता,चेन्नई,जयपुर,बेंगलुरु,जोधपुर,अहमदाबाद,सूरत,बड़ोदा,राजकोट,ठाणे,पुणे,लुधियाना,भोपाल, पटना,अमृतसर,वाराणसी,कानपुर,लखनऊ,नागपुर,हैदराबाद,गोवा,चंडीगढ़,आगरा,कोच्चि,अजमेर,जोधपुर,देहरादून, उदयपुर,जबलपुर,ग्वालियर,सागर,अहमदनगर,औरंगाबाद, जलगाँव, कोल्हापुर,नवी मुम्बई,बेलगाँव,नासिक,रायगढ़, ईरोड,कन्याकुमारी,कोयम्बटूर,तिरुचिरापल्ली,तिरुनेल्वेेली, मदुरै,वेल्लोर,सेलम,नेल्लोर,विशाखापट्टनम,अनन्तपुर,चित्तूर,विजयवाड़ा,कडप्पा,बालासोर,मेरठ,सहारनपुर,शिमला,सोलन,मोगा,संगरूर,करनाल,गुरुग्राम,पानीपत,रोहतक,आंणद, पालनपुर,भरूच,राजपिपला,भावनगर,भुज,मेहसाणा,वलसाड,कोल्लम,एर्णाकुलम, तिरुअनंतपुरम, इचलकरंजी, बेल्लारी,मैंगलुरु,हुबली,गुवाहाटी जैसे अनेक शहरों से हैं, वहीं गाँवों में सम्पूर्ण राजस्थान के सभी ७१२ राजपुरोहितों के गाँवों से हर एक ग्राम इकाई में सदस्य हैं। बड़े गाँव में आबादी के अनुसार अधिक रघु सैनिक हैं।