INDIAN CASTISM AND SOCIETY

निरंतर जब कोई एक ब्यबस्था चलती है तो समय समय पर उसमें बदलाब आते है। कुछ ऐसा ही समाज में होता आया है।

भारत की दशा में देखा जाये तो यहाँ समाज में कई भ्रांतिया बिधमान है जैसे भूत प्रेत, देवी आना, पूर्वजो को खाना खिलाना इत्यादि।

भारत में सबसे अधिक विशाल समस्या जाति प्रथा की है।

1600 ई में जब ब्रिटिश लोगो का आगमन हुआ तो इसी कुरीति का लाभ मिला। यहाँ आपसी मतभेद होने के कारण उन्हें शाशन करने में अधिक कठिनाई नहीं हुई।

लेकिन ये भी बहुत ही गंभीर बिषय था की जिन कुरीतियों के कारण उन्हें सफलता मिली उन्ही कुरीतियो को खत्म करने के लिए ही ब्रिटिश कंपनी ने कदम आगे बढ़ाया ।

जिसके फलस्वरूप ही समाज में विद्दमान अनेक कुरीतियो को बंद या नस्ट किया जा सका।

1200 ई से लेकर 1950 तक भारत की शाशन ब्यबस्था ऐसे लोगो के हाथ थी जो या तो भारत के बाहर अन्य देशों से आये या उनके समर्थक थे।

अतः यहाँ ये समझना अति आवश्यक है की जितनी कुरीतियां थी बह इसी दौरान नस्ट हुई। नयी शिक्षा पद्दति का जन्म हुआ । अधिकतर अमानवीय कुरीतियों का नाश ब्रिटिश काल में ही हुआ।

इस पूरे सन्दर्भ में ये ज्ञात होता है इस दौरान सिर्फ भारत का विकाश ही नहीं हुआ। बल्कि 6 वीं सताब्दी से चली आ रही जाती ब्यबस्था पर प्रहार भी था।

इन कुरीतियों से सभी मानव का शोषण रोक दिया गया । लेकिन आज भी ये कुरीतियां ब्यापक स्तर पर भारत में मौजूद है जैसे जातीय ब्यबस्था।

जाति व्यवस्था उन लोगो का एक राजनेतिक हथियार था जो शाशन को शादियों तक अपने अनुशार चलाना चाहते थे।

जैसे भगवान् के नाम से देवदासी प्रथा, ब्राह्मण सर्वोपरि, शतिप्रथा, मूर्ती पूजन, इंद्र का बरसात करना, अग्नि देवता का प्रकोप, पृथ्वी शेषनाग के फन पर होना, शाप दे देना , ईश्वर का रूठ जाना इत्यादि।