जाट धतरवाल इतिहास

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जाट धतरवाल परीवार वंशावली   


धराजी - धातरी बसाई इनके धर्म पत्नी श्रीमती गंवरी / गजाजी / सुजाजी पूनिया थी।

पदमसी (पद्मनी) पदमाराम

सरूपोणी (सरूपाजी)

सुंजाणजी (सुजाजी)

अजवाणी (अजवाणजी)

1. बाहड्वोणजी

घड़सीजी ( वि. समत 1295 में धातरी रहते थे )

1. हरपाल

जी देवोण जी (वि.सं. 1300 में भी धातरी रहते थे )

जी देवोण जी (वि.सं. 1300 में भी धातरी रहते थे )

↓ धर्माण जी (वि.सं. 1382 में भी धातरी रहते थे ) मंगलोण जी ( मंगलुजी) (वि.सं. 1425 में कड़ासर रहते थे )

राजोणजी (राजु जी) (वि.सं. 1996 में झुझार हुए जिसकी धातरी में छतरी है।)

1. मालोण जी ( मालाजी मांगीलाल)

2. कालूजी (विं सं. 1451 में कड़ासर में रहते थे।)

1. मोटाजी 2. नाथु जी ( नाथु दादा) 3. राणजी

कुंभाजी 2. जेताजी 3. खींयोजी 4. लाडूजी 5. भीखोणजी 6. केहरोणजी7.फुलोण जी (वि.सं.1481 में

मुलसाजी (वि.सं. 1541 में कुड़छी)

नंगाणसी (नानगसी) (वि.सं. 1547, 1635 खेतासर ओसियां में रहते थे )

रतना जी

कचराजी (वि.सं. 1691 खेतासर में रहते थे, साई खेड़ा)

नाथा जी

1. खीयोजी

1. नेताजी (वि.सं. 1756 खेतासर एवं 1885 में अयोजी जीवण जी द्वारा खेतासर में जीवत पाई चढ़ाई गई)

1. आयोजी ( आसुजी) जीवण जी 3. हीरोजी END 4. मोटाजी END ( वि.सं. 1832 के आसपास बायतु आये थे )

नोट:- आयोजी खेतासर (ओसिया) से अपनी मवेशी लेकर वि.सं. 1832 के आस पास बायतु बसाई । उसका परिवार आज बायतु भीमजी, भोपजी, सोमेसरा, डंडाली, भाणा मगरा (करना), सांजटा, सिणली, कितपाला

बिंजावास, भीमरलाई, गुरली चारणात, मुलजी की दाणी, जानियाना, घड़ोई नाड़ी, भांडियावास, गोल सोढ़ा, चारलाई खुर्द, कुल्ला, धतरवालों की ढ़ाणी, कल्याणपुर, नेवरी, बादु का बाड़ा, रतेऊ, भुंका इत्यादि गांवों में निवास करते हैं।

नेताजी ( जीवण जी परिवार  का विवरण ) 1. आयोजी   (  आसुजी ) 2. जीवण  जी 3. होरो जी ( END ) 4. मोटाजी ( END ) 1. मेहराज जी 1. दुदाजी 2. भारमल जी 3. जगमाल जी 4. श्यामा जी नोट:- जीवण जी का कुछ परिवार भारमलजी, जगमाल जी, श्यामजी का परिवार तासर (ओसिया) से खट्टू आकर निवास करने लगे। कुछ परिवार खेतासर ही रहा। इनका परीवार खट्टू धतरवालो की ढ़ाणी, नरेवा खट्टू, दुधवा भीमरलाई, बंटाला खट्टू, चेनपुरा, मलवा महादेव, तिलवाड़ा, चौकड़ियों की ढ़ाणी, चिड़िया, पचपदरा, नेतराड़, खारावाला नेतराड, मते का तत्ला, पोकरासर, बुढ़ का ला चौहटन, दिनगढ, रेडाणा, कपासिया की बैरी, छोटा ईटादा, बलाऊ राणी गांव, भीखोणियों की ढ़ाणी, गांधी नगर, खेड़ा दीनगढ़, गुमाना का तला, आलमसर, कापराऊ मलार, भैंसाऊ डेर, टांका स्टेशन दीनगढ़, पनोणियों का तला तारातरा, झांपली इत्यादि गाँवो के जिला बाड़मेर में रहवासी है। फतेहगढ़, श्रुतरपुरा फलसुंड जिला जैसलमेर में रहवासी है। इसी प्रकार जीवणजी का परीवार खेतासर धोलिया नगर, घेवड़ा, यहाँ बैरा तिवरी, भीयाड़िया, प्रहलादपुरा, चौमु, बड़ोड़ा गांव तिंवरी, चंडालियां, भलासरिया, मथानिया, नेवरा, बिंजारिया, बावड़ी बड़ा कोरेचा, गिंगाला हाथुड़ी, इत्यादी जिला जोधपुर में रहवासी है। जीवणजी का ज्यादातर परीवार दो फसलो गावों में रहते हैं।

नेताजी

जीवणजी

मैराजा राम जी

जगगमाल राम जी

मगाराम जी

कलारामजी (कलजी गोंगाजी भोपाजी)

भैराराम जी

खेताराम जी (मोटाराम जीEND)

(देवारामजीEND) भोलारामजी भोमारामजी का परिवार

(भीखाराम, गंगाराम, चिमा राम )

भोलाराम जी का परिवार

(दुदाराम)                      {चेतनराम}  

(नरपत, मनोहर)            { पवन कुमार}

गांव खटटु बालोतरा राजस्थान





कलाराम जी धतरवाल का जीवन परिचय

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नाम - कलारामजी [कलजी]

           जन्म - विक्रम संवत 1832 के आस-पास

        पिता - चौधरी मगाराम जी

      मां का नाम - माडुदेवी भाकर

   पत्नी का नाम - यशोदा देवी डऊकिया खट्टू

                         व                   

                भुरी देवी सियाग

भाईयो के नाम - जौधाजी,मोडाजी,बागाजी, अजबाजी

  बहनों के नाम - मिरो, हिरो,आखा   

   काका जी का नाम - जैयारामजी  खेतासर               

   जाति - जाट       गोत्र - धतरवाल

                 गांव - खट्टू

       मुख्य धाम - खट्टू बालोतरा

गोंगाजी महाराज के परम भक्त जिन्होंने विक्रम संवत 1855के आस-पास ढिकाई मन्दिर के ताले खुलवाए

विक्रम संवत 2080 री साल माघ सुधी बारस ने बुधवार दिनांक = 21.02.2024 को कलाराम जी धतरवाल की स्थापना भोलाराम भाई भोमारामजी द्वारा की गईं  !

  1. "नेपाली साहित्यको संक्षिप्त इतिहास मा इतिहास चेतनायुक्त विचारधारा Nepali Sahityako Samkshipta Itihasma Itihas Chetanayukta Bichardhara". Tribhuvan University Journal. 33 (2): 203–222. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2091-0916. डीओआइ:10.3126/tuj.v33i2.33648. |firstlast= missing |lastlast= in first (मदद)