कब होंगे ? खुशहाल किसान 

वक्त बदला, सरकार बदली, लेकिन किसानों की समस्या आज भी वहीं अटकी पड़ी है। अगर वृद्धि हो रही है, तो किसानों की आत्महत्या में और कृषि यंत्रों तथा उर्वरकों के दाम में। इतिहास को देखें, तो पहली पंचवर्षीय योजना मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र के विकास को ध्यान में रखते हुए लागू की गई थी, मगर उसका परिणाम आज तक साफ नजर नहीं आता। साल 1951 से लेकर अब तक कई योजनाएं किसानों के हित में लागू की गई हैं, जिस पर केंद्र सरकारों ने काफी पैसे खर्च किए, फिर भी किसानों की दशा नहीं सुधर सकी। मौजूदा मोदी सरकार ने भी बीते चार वर्षों में किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, लेकिन सच्चाई यही है कि कई योजनाओं का नाम तक किसानों को नहीं पता। खेती-किसानी की यह दुर्दशा देखकर ही शायद किसान अब खेती करना पसंद नहीं करते, बल्कि उनमें से काफी तो अब मजदूरी करने लगे हैं। अगर हालत यही रही, तो वह दिन दूर नहीं, जब अनाज भी हम विदेशों से ही मंगाएंगे। सरकार को अब चेत जाना चाहिए। सिर्फ कर्ज-माफी काफी नहीं है, ढांचागत कमजोरियों को दूर किया जाना चाहिए। किसानों की सेहत नहीं सुधरी, तो फिर हमारे देश की अर्थव्यवस्था की सेहत भी बिगड़ जाएगी।

नीलू गौतम ,फतेहपुर !