राजेन्द्र "रंजन" गायकवाड़   साहित्यकारों के उस वर्ग से आते हैं जो सीधे जमीन से जुड़े हैं, जमीन से उठे हैं, जमीनी सच्चाईयों से जिनका वास्ता हैं, सामाजिक,आर्थिक,विषमताओ से जो रूबरू हुए हैं | जीवन और समाज की विद्रूपताओं से जिन्होंने बड़े निकट से और बड़े जीवन्त ढंग से देखा हैं | इस प्रकार इतनी आग में तपा हुआ अनुभव कुंदन बनकर गायकवाड़ की लेखनी से अभिवयक्त हुआ हैं | रंजन जी की रचनाओ मैं प्रेम हैं, संघर्ष हैं, व्यंग हैं, विश्वास हैं, आशा हैं | रंजन जी की कविताए इतनी सहज हैं, जितना कि वे स्वयं, इतनी सरल हैं जितना कि उनका जीवन, इतनी बहुआयामी हैं जितना उनका व्यक्तित्व और इतनी सार्थक जितना कि वे स्वयं हैं इस समाज के लिए॥ आपका बहुचर्चित कविता संग्रह  "  खुला -आकाश "' वर्ष 2006 में प्रथम संस्कारण श्री बूक डिपो॥बिलासपुर से प्रकाशित हुआ.जिसका विमोचन पद्म-विभूषण श्री गोपालदाजी नीरज जी ने  केंद्रीय जेल बिलासपुर में किया॥.।दूसरा संस्करण का प्रकाशन जीवन प्रभात प्रकाशन मुंबई  से  वर्ष 2010 मे हुआ॥
       राजेंद्र रंजन ने वर्ष 2009 से फेसबूक और ट्विटर पर अनेक कवितायें डाल कर हर उम्र के पाठकों को अपनी और आकर्षित किया है॥आपका कहानी-संग्रह  '  पतझड़  के फूल  अति -शीघ्र आने वाला है॥