राहुल सिंह बौद्ध कुशवाहा

।।।।।।।।।बौद्ध धर्म के दोहा।।।।।।।

1 --- वाणी से दुख होति है वाणी से दुख जाय

राहुल वाणी नीर है जैसा रंग मिलाय ।।

2--- देव न देवी ईश ना नाही यज्ञिक कर्म

ना कोई धर्म दबाव हो वही बुद्ध का धर्म ।।।

3--- ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य ना ना शूद्रों का कर्म

वर्ण जाती कुछ हो नहीं वही बुद्ध का धर्म ।।

4--- भाग्य और भगवान का चले न कोई कर्म

अपने मालिक स्वयं हो वही बुद्ध का धर्म ।।

5-- योग नक्षत्र चले नहीं चले न भाग्य विचार

सबसे उत्तम कर्म है अपने कर्म सुधार ।।।

6-- यज्ञ न वायु शोधते शोधे नही विचार

यज्ञ किए कुछ ना मिले अपने कर्म सुधार ।।

7-- पुत्र पुत्र धंधा ने कुछ दे ही न यज्ञ विधान

दात दुखी को दे सदा सबसे कर्म महान ।।

8-- मेरा तेरा त्याग दे तजे दुष्ट दुष्कर्म

भाई चारे में रहे यही बुद्ध का धर्म ।।

9-- छोड़ बुराई प्रेम में सना रहे जो कोई

ताको धर्म न चाहिए सतह धर्म ही होए ।।

10-- छोड़ बुराई प्रेम में सना रहे जो कोई

ता को चाहे लोक सब नाम जगत में होय ।।

11-- फिर भी खोजें सत्य को सत्य जगत का सार

आडंबर में क्या जिए ज्यू कांटों का हार ।।

12-- तृष्णा दुख का मूल है इसको जाने सांच

त्रिस्ना जड से खोद दे कभी न आवे आंच ।।।।।


।।दोहा लेखक शास्त्री राहुल सिंह बौद्ध कुशवाहा।।


मेरे द्वारा लिखी गई कहानियों को आप गूगल पर भी सर्च कर सकते हैं आपको आसानी से मिल जाएंगी।। राहुल सिंह बौद्ध कुशवाहा की कविताए ।।

9198979617

नमोबुध्दाय ।।जय सम्राट अशोक ।।

।भारत बुद्ध मय हो यही मेरा लक्ष्य और यही मेरा सपना है।


सब्बे सत्ता सुखी होन्तु सब्बे होन्तु च खेमिनो सब्बे

भद्राणि पश्यन्तु मां कन्चि दुक्ख मां गमा ।।।।।।

सबका मंगल हो सबका कल्याण हो सभी का शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक विकास हो सभी पुत्र वान हो सभी धनवान हो सभी विद्यावान हो ।।


साधु साधु साधु





शास्त्री राहुल सिंह बौद्ध कुशवाहा ।ग्राम खदिया नगला कुशवाहा ।

रीना सिंह बौद्ध कुशवाहा

ग्राम खदिया नगला कुशवाहा


बौद्ध धर्म की 22 प्रतिज्ञाएं जो आज मैं यहां पर प्रकाशित करने जा रहा हूं जिन्हें आप लोग बहुत विधि पूर्वक व ध्यान दे करके पढ़ें और का अनुसरण करें।

इन्हें भगवान बुद्ध के द्वारा बताए गए बौद्ध धर्म की 22 प्रतिज्ञा ओं को डॉक्टर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने भी ग्रहण करके एक लाख से अधिक लोगो के साथ बैठकर के नागपुर में बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण की थी और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर बौद्ध धर्म के अनुयाई हो गए थे ।।

।। तो आइए अब आगे प्रकाशित हैं ।।

बौद्ध धर्म की 22 प्रतिज्ञाएं ।


1-- मैं ब्रह्मा विष्णु और महादेव को ईश्वर नहीं मानूंगा और ना ही मैं उनकी पूजा करूंगा।।

2--- मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नहीं मानूंगा और उनकी पूजा कभी नहीं करूंगा ।

3 -- मैं गौरी गणपती इत्यादि हिंदू धर्म के किसी देवी देवता को नहीं मानूंगा और नहीं उनकी पूजा करूंगा ।

4 -- ईश्वर ने कभी अवतार लिया है ऐसी बात पर मैं विश्वास नहीं करूंगा ।।

5 -- शाक्यमुनि भगवान गौतम बुद्ध विष्णु के अवतार हैं इसे मैं कभी नहीं मानूंगा। ऐसे प्रचार को बुद्धिहीन और झूठा समझता हूं।

6 -- मैं श्राद्ध कभी नहीं करूंगा और नहीं कभी पिंडदान दूंगा ।

7-- मैं बौद्ध धर्म के विरुद्ध किसी भी प्रकार का आचरण नहीं करूंगा

8-- मैं कोई भी क्रिया कर्म ब्राह्मणों के हाथों नहीं कराऊंगा ।

9-- मैं सभी मनुष्य एक समान हैं इस सिद्धांत को मानूंगा ।

10 -- मैं मानवीय समानता की स्थापना के लिए प्रयत्न करूंगा

11-- मैं भगवान बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग का पूर्ण पालन करूंगा

12-- मैं भगवान बुद्ध के द्वारा बताई 10 पारमिताओ का पूर्ण पालन करूंगा ।

13-- मैं प्राणी मात्र के ऊपर दया रखूंगा और उनका लालन-पालन करूंगा

14-- मैं चोरी नहीं करूंगा

15 -- मैं झूठ नहीं बोलूंगा ।।

16 -- मैं व्यभिचार नहीं करूंगा ।।

18----- मैं अपने जीवन को बौद्ध धर्म के तीन तत्वों अर्थात प्रज्ञा शील और समाधि पर डालने का प्रयत्न करूंगा ।।

19---- मैं मनुष्य मात्र के उत्कर्ष के लिए हानिकारक और मनुष्य मात्र को असमान और नीच मानने वाले अपने पुराने हिंदू धर्म को पूरी तरह त्याग ता हूं और स्वेच्छा से बौद्ध धर्म को अंगीकार करता हूं

20-- मेरा ऐसा पूर्ण विश्वास है कि बौद्ध धर्म ही सधर्म है ।

21--- मैं यह मानता हूं कि मेरा पुनर्जन्म हो रहा है

22--- मैं पवित्र प्रतिज्ञा करता हूं की आजीवन बौद्ध धर्म के अनुसार आचरण करूंगा


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तो साथियों

यह है बौद्ध धर्म की 22 प्रतिज्ञाएं

जिनका प्रकाश करना और समानता स्वतंत्रता जिनका प्रकाश करना और समानता स्वतंत्रता मित्रता बंधुता जैसी चीजों का प्रचार करना मानवता का प्रचार करना विज्ञान का प्रचार करना ही मेरा परम उद्देश्य है।

इस विश्व में अगर कोई धर्म है तो वह है बौद्ध धर्म बौद्ध धर्म के समान इस संसार में कोई भी धर्म हो ही नहीं सकता क्योंकि जिस धर्म में कोई भी भेदभाव नहीं है जिसमें मानवता है और मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है

जिसमें संपूर्ण विज्ञान का आविष्कार हुआ है भगवान बुद्ध जो स्वयं एक बहुत बड़े वैज्ञानिक ही थे

जी ने इस संसार की समस्त रासायनिक गतिविधियों का ज्ञान था बे ईश्वर पृथ्वी से लेकर के अंतरिक्ष तक का ज्ञान रखते थे भगवान बुद्ध के अंदर एड़ी से लेकर चोटी तक की समस्त रासायनिक गतिविधियों का ज्ञान था ऐसे थे शाक्य मुनि तथागत बुद्ध ।।।

नमो बुध्दाय

9198979617