सदस्य:राहुल सिंह बौद्ध कुशवाहा/प्रयोगपृष्ठ

प्रिय धम्म बन्धुओ ।।। बौद्ध स्थल सूरजकुंड बदायूं।।।।


इस स्थान को प्रथम बार चीनी यात्री फाह्यान ने सन 415 ईसवी में भारत यात्रा के दौरान खोजा था उन्होंने इस स्थान को अपने इतिहास वर्णन पुस्तक । फू कोउई की । बौद्ध देश वृतांत ने किया है इसकेेेे बाद चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी इस स्थान की यात्रा कर अपने इतिहास में वर्णन किया है कई एवं

इतिहास के अनुसार इस स्थान पर भगवान बुद्ध ने वर्षा वास किया था और यहां पर रहकर बौद्ध भिक्षु एवं उपासक ओं को धम्म देशना दी थी स्थान उस समय जंगल के एक ऊंचे टीले पर था भगवान बुद्ध व भिक्षुओ को ठहरने व ध्यान साधना करने के लिए संघाराम बनवाया गया था जिससे इस स्थान को केंद्र बनाकर बौद्ध भिक्षु भिक्षाटन धम्म देशना धर्म प्रचार किया करते थे और शाम को यथा स्थान पर निवास किया करते थे ।

जब प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया तो उन्होंने 84000 बौद्ध स्मारकों में स्तूप स्तंभ संघाराम बुद्ध विहार शिलालेख आदि का निर्माण कराया था जिसमें एक संघाराम बिहार का निर्माण यहां भी कराया था और धर्म प्रचार किया था एक इतिहासकार केेेे अनुसार मौर्य सम्राटों के समय यह बस्ती आवाद थी। सम्राट अशोक के समय इस धरती पर बौद्ध विहार बनवाए गए तथा धर्म प्रचार के उद्देश्य से यहां पर राजा बुद्धसेन जोकि यादव वंश और बौद्ध धर्म्म्म्म्म के अनुयाई थे अनुयाई के थे को शासक बनाया गया

इस स्थान के पश्चिम में एक नगर बसाया गया जिसका नाम पर बुध्दमऊ रखा गया । महाराजा बुध्दसेन ने एक भव्य् कुंड सरोवर बनवाया जिसके चारों ओर 84 बौद्ध मठ बनवाए और चारों ओर पानी में उतरने केेेे लिये सीढ़ियां बनवाई गई

धर्म प्रचार के लिए बौद्ध विहार बनवाया और भिक्षुओ व उपासको लिए ध्यान साधना केंद्र बनवाया था ।

इस सरोवर का नाम सूरजकुंड रखा गया था अभी भी सूरजकुंड अपनी क्षतिग्रस्त अवस्था में पुरानी कलाकृति की भव्यता को दर्शाता रहा है सूरजकुंड बौद्ध संस्कृति ही नहीं सभी धर्मों समाजों पर संसार के लिए एक अमूल्य धरोहर है

Imperial gazetteer of India mein world Hai Kisan सन 905 ईसवी में बौद्ध धर्म अनुयाई महाराजा बुध्दसेन ने नगर बसाया था जिसका नाम भगवान बुद्ध के नाम पर बुध मऊ रखा गया था फिर कुछ समय केेेे बाद इस नगर का नाम कोट भदावन बेदामऊ बेदाम््यूता वेदाम्यूूथ

भदाऊलक भदाऊ बदाऊ हो गया । और अब इस नगर का नाम बदायूं जनपद हो गया है


यहां पर भगवान बुद्ध के बहुत ही अवशेष मिलते है और और आज भी भगवान बुद्ध के बहुत अवशेष हैं बुद्ध विहार हैं बुध मठ है जो टूटे-फूटे खंडित हैं एक बहुत ही अच्छा सूरजकुंड बना है जो देखने के लायक है प्राचीन इतिहास में उसकी छटा का कुछ कहना ही नहीं।।


शास्त्री राहुल सिंह बौद्ध कुशवाहा

खदिया नगला भरखनी पाली हरदोई

नमो बुध्दाय

9198979617