शेषनाग जनता दरबार - महाराज जी का संदेश

  1. आनन्द व सुखमय जीवन जीने के लिए अच्छी संगत एवं संस्कारों के साथ प्रेम को अपनाते हुए स्वाभिमान के साथ जीना चाहिए
  2. मानव को अपने आप से प्रेम है, वैसे ही समस्त मानव के साथ प्रेम, सदभाव एवं भाईचारे के साथ जीवन को जीना चाहिए
  3. मानव को पशु-पक्षी, वनस्पति, पहाड़, नदियां एवं प्रकृति का प्रेम से ख्याल रखना चाहिए जिससे प्रकृति का संतुलन बना रहे
  4. परमात्मा को प्राप्त करने के लिए प्रेम, श्रध्दा, विश्वास एवं समर्पण का भाव अपनाने पर ही आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश किया जा सकता है
  5. आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश के उपरान्त ही सत्संग और निरन्तर ध्यान साधना के द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार एवं दर्शन किया जा सकता है