सुभाष चन्द्र कुशवाहा
सुभाष चन्द्र कुशवाहा |
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सुभाष चन्द्र कुशवाहा मूलत: कथा में गांव के लिए चर्चित हुए हैं । आजकल गांव पर लिखने वाले जो थोड़े से नाम हिन्दी कथा साहित्य में दिखाई दे रहे हैं उनमें सुभाष चन्द्र कुशवाहा का नाम महत्वपूर्ण हैं । इनकी महत्वपूर्ण कृतियां हैं- हाकिम सराय का आखिरी आदमी, बूचड़खाना, कथा में गांव ,जांतिदंश की कहानियां, लोकरंग-1, कैद में है जिंदगी, गांव हुए बेगाने अब, होशियारी खटक रही है । सुभाष चन्द्र कुशवाहा लोकरंग सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष भी हैं ।लोकरंग सांस्कृतिक समिति ने `लोकरंग-1´ पुस्तक के माध्यम से लोकसंस्कृतियों के विविध पक्षों को उकेरने वाले देश के 28 श्रेष्ठ रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित की हैं। इस पुस्तक को सहयात्रा प्रकाशन, दिल्ली या हमारे पते से प्राप्त किया जा सकता है) लोकरंग सांस्कृतिक समिति गुमनाम लोककलाकारों की खोज कर रही है। । ऐसे ही एक गुमनाम लोककलाकार,रसूल की खोज की है, जिनको अभी तक भुला दिया गया था।
प्रकाशित पुस्तकेंः- काव्य संग्रह-
1-आशा’, 1994 2-कैद में है जिन्दगी, 1998 3-गांव हुए बेगाने अब, 2004 कहानी संग्रह
4-हाकिम सराय का आखिरी आदमी, 2003। यात्री प्रकाशन। 5-बूचड़खाना, 2006। शिल्पायन। 6-होशियारी खटक रही है, 2009 । अंतिका प्रकाशन। 7-लाला हरपाल के जूते और अन्य कहानियां, 2015। पेंगुइन बुक्स, इण्डिया ।
संपादित संग्रह
8-कथा में गांव (कहानी संग्रह), 2006, 9-जातिदंश की कहानियां, 2009 10-लोकरंग-1 (लोक संस्कृति), 2009 11-लोकरंग-2 (लोक संस्कृति), 2011
संपादित पत्रिकाएं कथादेश का किसान विशेषांक-‘किसान जीवन का यथार्थः एक फोकस’ का संपादन लोकरंग वार्षिकी का 1998 से संपादन ।
स्वतंत्रता संग्राम इतिहास
12-चौरी चौरा विद्रोह और स्वाधीनता आन्दोलन, 2014, पेंगुइन बुक्स इंडिया प्र.लि.
देश के सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में 300 के लगभग आलेख और 55 कहानियां प्रकाशित ।