जीएस घुर्ये: भारतीय समाजशास्त्र के प्रखर प्रबंधक

1. जीवन परिचय:

जीएस घुर्ये का जन्म १२ दिसम्बर, १८९३ को महाराष्ट्र के कोंकण जिले के कोण्डिवली गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा का प्रारंभ पूणे में किया और फिर बॉम्बे विश्वविद्यालय से शिक्षा में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाकर प्रोफेसर के रूप में पूरी की और कई महान ग्रंथों के लेखक के रूप में अपना नाम बनाया।

2. विशेषज्ञता क्षेत्र:

जीएस घुर्ये को समाजशास्त्र के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है। उन्होंने भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं का विशेष ध्यान दिया और उनकी गहरी समझ के कारण उन्हें भारतीय समाजशास्त्र के विशेषज्ञ के रूप में माना जाता है। उनका काम भारतीय समाज के जाति, वर्ण, धर्म, जातिवाद और समाज की विभिन्नताओं के बारे में विस्तृत अध्ययन किया। उनकी पुस्तक 'इंडियन सोसायटी' (भारतीय समाज) भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने में विशेष महत्व रखती है।

3. विचारधारा और सामाजिक संघर्ष:

जीएस घुर्ये के अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदानों में से एक उनका विचारशीलता और समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता है। उन्होंने समाज में विभाजन और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और समाज में समानता और न्याय के लिए संघर्ष किया। उनकी शोधप्रिय दृष्टि, गहरा ज्ञान और समाजशास्त्र के क्षेत्र में उनका अनुभव उन्हें भारतीय समाज के विश्वसनीय विचारक बनाता है।

4. योगदान और प्रेरणा:

उनका योगदान भारतीय समाजशास्त्र के इतिहास में अमूल्य है और उनकी प्रेरणा आज भी अनेक युवाओं को बनाए रखती है। उनका निधन १८ मई, १९७६ को हुआ, लेकिन उनकी विचारधारा और योगदान आज भी हमें समाज में समानता और न्याय के प्रति जागरूक करने के लिए प्रेरित करते हैं।

5. निधन और समापन:

उनका निधन १८ मई, १९७६ को हुआ