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त्रिप्रयार एकादशी
संपादित करें[1] त्रिप्रयार एकादशी केरल के प्रसिद्ध त्रिप्रयार श्री राम मंदिर में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह त्योहार मलयालम पंचांग के अनुसार, वृश्चिक मास (नवंबर-दिसंबर) में एकादशी तिथि को मनाया जाता है। त्रिप्रयार मंदिर भगवान श्रीराम को समर्पित है और इसे केरल के सबसे पवित्र और ऐतिहासिक मंदिरों में गिना जाता है। इस दिन को "वृश्चिक एकादशी" या "त्रिप्रयार एकादशी" के नाम से जाना जाता है।
यह त्योहार धार्मिक उत्साह, भक्ति, और सांस्कृतिक गतिविधियों का मिश्रण है, जो हजारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
त्रिप्रयार श्रीराम मंदिर का महत्व
त्रिप्रयार श्रीराम मंदिर, त्रिशूर जिले के त्रिप्रयार गांव में स्थित है। इस मंदिर में भगवान श्रीराम की मूर्ति प्रतिष्ठित है, जिन्हें भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पूजा जाता है।यह मंदिर अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यहां भगवान श्रीराम के साथ उनके भाइयों - लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न - का आध्यात्मिक संबंध है।त्रिप्रयार श्रीराम मंदिर को विशेष रूप से इसकी भव्यता और वास्तुकला के लिए भी सराहा जाता है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह और यहां के वार्षिक उत्सव इसकी पहचान हैं।
त्रिप्रयार एकादशी का महत्व [2] त्रिप्रयार एकादशी को हिंदू धर्म में एक पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने और व्रत रखने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।केरल में, इस एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि यह त्रिप्रयार मंदिर में एक बड़े त्योहार के रूप में मनाई जाती है। भक्त मानते हैं कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
त्रिप्रयार एकादशी के अनुष्ठान
संपादित करेंत्रिप्रयार एकादशी के दौरान निम्नलिखित अनुष्ठान और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं:
1. व्रत और उपवास
इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और पूरी तरह से सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। कई भक्त जल के बिना निर्जल व्रत भी रखते हैं। व्रत का समापन द्वादशी तिथि को पारण के साथ किया जाता है।
2. विशेष पूजा और आरती
मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान श्रीराम को विभिन्न प्रकार के पुष्पों और दीपों से सजाया जाता है। मुख्य आरती सुबह और शाम को आयोजित की जाती है।
3. पवित्र स्नान
भक्त पवित्र स्नान करते हैं, विशेष रूप से त्रिप्रयार मंदिर के पास बहने वाली त्रिप्रयार नदी में। माना जाता है कि इस नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
4. झांकियां और शोभायात्रा
त्योहार के दौरान भगवान श्रीराम की मूर्ति को सजे हुए रथ में बिठाकर भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। इसे "एझुन्नल्लिप्पु" कहते हैं। शोभायात्रा में पारंपरिक संगीत, जैसे पंचवाद्यम और चेंडा मेलम, का प्रदर्शन होता है।
5. दीपम और दीपोत्सव
त्रिप्रयार एकादशी के दिन मंदिर को दीपों से सजाया जाता है। भक्त दीप जलाकर भगवान श्रीराम को अर्पित करते हैं। यह समारोह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आनंद प्रदान करता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
संपादित करेंत्रिप्रयार एकादशी के अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें पारंपरिक नृत्य, संगीत, और नाटक शामिल हैं। केरल की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाने वाले प्रदर्शन इस त्योहार का एक अभिन्न हिस्सा हैं।
श्रद्धालुओं का अनुभव
हर साल हजारों श्रद्धालु त्रिप्रयार एकादशी के दिन त्रिप्रयार श्रीराम मंदिर में आते हैं। मंदिर की पवित्रता और भगवान श्रीराम की दिव्य उपस्थिति श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक सुख प्रदान करती है।
त्रिप्रयार एकादशी का आधुनिक महत्व
संपादित करेंआज के समय में, त्रिप्रयार एकादशी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखने का माध्यम भी है। यह त्योहार भक्तों को अपने धर्म और आस्था से जोड़ने का अवसर प्रदान करता है।
निष्कर्ष
संपादित करेंत्रिप्रयार एकादशी एक पवित्र त्योहार है जो न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में आध्यात्मिकता और आस्था का संचार करता है। त्रिप्रयार श्रीराम मंदिर की दिव्यता और यहां के त्योहार की भव्यता इसे केरल के प्रमुख उत्सवों में से एक बनाती है।
यदि आप भारतीय संस्कृति, धर्म, और परंपराओं को करीब से देखना चाहते हैं, तो त्रिप्रयार एकादशी का अनुभव जरूर करें।
- ↑ ലേഖകൻമ. (2024, November 25). തൃപ്രയാർ ശ്രീരാമ ക്ഷേത്രത്തിലെ ഏകാദശി ആഘോഷങ്ങൾ 26ന്. തൃപ്രയാർ ശ്രീരാമ ക്ഷേത്രത്തിലെ ഏകാദശി ആഘോഷങ്ങൾ 26ന്. https://www.manoramaonline.com/district-news/thrissur/2024/11/25/thriprayar-sree-rama-temple-ekadashi-celebrations.html
- ↑ Rajendran, A. (n.d.). Triprayar Ekadasi 2024 Date - Importance of Triprayar Sri Rama Temple Ekadashi. Hindu Blog. https://www.hindu-blog.com/2011/11/triprayar-ekadasi-2011-date.html