ASHISH KUMAR PANDIT
ASHISH KUMAR PANDIT as Advisor of secure life1. मौत तो नाम से ही बदनाम है, वरना तकलीफ तो जिन्दगी ही देती है। 2.इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने कि लिए ये ज़रूरी हैं. 3.अपने मिशन में कामयाब होने के लिए , आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा।4.मुझे कभी-कभी इस तथ्य से दुःख होता है कि मेरे पास एक पूर्ण और निरोग शरीर नहीं है.5.क़ानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा ज़रूर दी जानी चाहिए .6.जीवन लम्बा होने की बजाये महान होना चाहिए 7.मनुष्य नश्वर है . उसी तरह विचार भी नश्वर हैं . एक विचार को प्रचार -प्रसार की ज़रुरत होती है , जैसे कि एक पौधे को पानी की . नहीं तो दोनों मुरझा कर मर जाते हैं .8.सागर में मिलकर अपनी पहचानखो देने वाली पानी की एक बूँद के विपरीत , इंसान जिस समाज में रहता है वहां अपनी पहचान नहीं खोता . इंसान का जीवन स्वतंत्र है . वो सिर्फ समाज के विकास के लिए नहीं पैदा हुआ है , बल्कि स्वयं के विकास के लिए पैदा हुआ है . 9.कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें,तभी आगे बढें। 10.कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं।
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक वे जो कहते हैं कि I CAN”Tऔर दूसरे वे जो I CAN के सिद्धांत को मानते हैं। I CAN का सिद्धांत मानने वालों के लिए किसी भी चैलेंज को स्वीकार करना या लाइफ में रिस्क लेना मुश्किल नहीं होता है, और वही लोग जीवन में सफलता की बुलंदियों को छू पाते हैं। हमें अपनी सोच या attitude हमेशा सकारात्मक रखनी चाहिए।
कई बार हम सोच या नजरिये की बात करते हैं, हम सबने अपनी सोच की शक्ति के बारे में सुना है, और ये हमारी सोच ही है, जो हमारी सफल होने की संभावना को निर्धारित करती है। हम जानते हैं कि सकारात्मक सोच जीवन के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जबकि नकारात्मक सोच स्वयं ही हमारे जीवन को तबाह कर देती है। आमतौर पर सकारात्मक सोच हमें हमेशा खुश रखती है, और सफलता की ओर ले जाती है। जबकि नकारात्मक सोच हमें दुखी, उदास, तनावपूर्ण, और जीवन से छुटकारा पाने के विचार की ओर ले जाती है। इसलिए अच्छी और रचनात्मक सोच सफलता और उपलब्धियों के लिए बहुत जरूरी है।
हम कैसे ऐसी आदतें विकसित करें, जो हमारी सोच को सकारात्मक बनाने में मदद करे?
सबसे पहले आइये जानते हैं कि, सोच या attitude क्या होता है।
सोच क्या है?
मनोविज्ञान में सोच या नजरिया या रवैया किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना के पक्ष या विपक्ष में भावना की अभिव्यक्ति है।
दूसरे शब्दों में, सोच किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में सोचने या विचार करने का एक स्थाई तरीका है।
Positive attitude- सकारात्मक विचार, सकारात्मक भावना, और सकारात्मक अभिव्यक्ति होती है।
Negative attitude- नकारात्मक विचार, नकारात्मक भावना और नकारात्मक अभिव्यक्ति होती है।
कैसे पाएं सकारात्मक सोच :-
आइये नीचे हम आपको कुछ ऐसी आदतों के बारे में बताते हैं, जो आपको अपनी सोच को सकारात्मक बनाने में मदद कर सकती है।
1.अहसानों (greatfullness) की एक डायरी बनाएं :
कोई एक बुरी घटना एक क्षण में आपका पूरा दिन खराब कर सकती है, या किसी के साथ कोई झगड़ा या बहस हमारी खुशियों को उस दिन कम देता है। जब भी आपको लगे कि आपके मन में नकारात्मक भावनाएं आपको परेशान कर रही हैं तो इन्हे नियंत्रित करने के लिए एक डायरी में उस दिन की 5 ऐसी बातों या घटनाओं को लिख डालिये जब आपने कृतज्ञता या अहसानमंद होने की भावना महससू करी, और आप देखेंगे कि कैसे आपका नजरिया बदल जाता है। ये देखा गया है कि प्रशंसा से आप खुश होते हैं और चिंता, नकारात्मकता और तनाव की भावनाएं आपके पास नहीं आने पाती।
2.अपनी चुनौतियों का सामना नए तरीके से करें:
हमे अपनी पुरानी सोच कि, ये काम बहुत कठिन है यह नही हो सकता। .....इन बातों के स्थान पर, यह हो जायगा, ये मैं कर सकता हूँ जैसी भावना लाएं। हो सकता है ऐसी बहुत सी चीजे हों जिन पर हमारा पूरा नियंत्रण ना हो लेकिन यदि हम अपनी पूरी सामर्थ्य और मन को उस काम करने में लगाते हैं तो हमें बाद में कोई पछतावा नही रहता। चुनौतियों का सामना साहस के साथ करो ना कि विकास के अनुभव में रुकावट की तरह ।
3.REJECT होने पर भी अच्छा महसूस करें:
रिजेक्शन एक कला है, जिससे हमें अपनी असफलताओं को समझने और कमियों को सुधारने का मौका मिलता है, क्योंकि जीवन में कोई भी बिना रिजेक्शन के आगे नही बढ़ता है। इसलिए reject होने पर परेशान ना हों और बुरा होने की आशा कभी मत करें। यदि बुरा होने का इंतजार करेंगे, तो बुरा होने की संभावना होती है। इसलिए हमेशा ये सोच रखिये कि reject हो गया तो क्या हुआ, मैं स्वयं की कमियों का सुधार करूंगा, सबठीक है, और मेरे पास अगला मौका है।
4.अपने जीवन का वर्णन सकारात्मक शब्दों से करें:
हमारी सोच से ज्यादा प्रभावी हमारे शब्द होते हैं। आप वो हैं जो आप अपने बारे में सोचते हैं। आप अपने जीवन के बारे में जो बोलते हैं, वैसा ही आपका जीवन होता है। जो भी आप बोलते हैं आपका दिमाग वही सुनता है। इसलिए हमेशा अपने लिए अच्छे, सरल और सुंदर शब्दों का प्रयोग करें आप देखेंगे आपका जीवन एक अलग तरह के प्रकाश से चमक उठेगा। आपने अपने जीवन के लिए जो मार्ग चुना है उसमे आपको अधिक आनंद मिलेगा। हमेशा अपने शब्दों में सकरात्मक रहें। उदाहरण के लिए जब भी सम्भव हो अपने आप से कहें-"मैं सम्पूर्ण हूँ" "मैं खुश हूँ"और "मैं सकारात्मक हूँ "
5.Negative या प्रश्नवाचक शब्दों को सकारात्मक शब्दों से बदलिये:
हम अक्सर नकारात्मक या प्रश्नवाचक शब्दों का प्रयोग करते हैं जैसे -मुझे यह काम करना है, पानी का गिलास आधा खाली है, आदि-आदि। इसके बदले में सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करें। जैसे मुझे यह कार्य करने का अवसर मिला, पानी का ग्लास आधा भरा हुआ है। आपका रवैया आपके कामों को पूरा करने, उसमें प्रशंसा पाने में तेजी से बदलाव लाता है, और हम वैसा पाते हैं जैसा हम चाहते हैं।
6.कोशिश करें कि अपने आपको, दूसरों की शिकायतों में घसीटने का मौका न दें:-
आपका दिन बहुत अच्छा जा रहा है, और आप बहुत अच्छा काम कर रहे है और आपके सहयोगी इस शानदार माहौल पर पकड़ ढीली नहीं करना चाहते हैं। आपको पता भी नहीं चलेगा और अचानक वह आपको शिकायत के उत्सव में शामिल कर लेंगे। एक महीने के अंदर आपको बड़ी चतुराई के साथ इस बेहद गर्म विरोध प्रदर्शन में शामिल कर लिया जायेगा। कोशिश करें कि आप इस तरह के जाल में न फंसे। Warsaw School of Social Psychology का एक अध्ययन यह दिखाता है, कि नकारात्मक मन और भावनाएं आपके जरूरतों की पूर्ति, आपके आदर्श, और आपकी सकारात्मक भावनाओं में कमी लाती हैं।
7.सकारात्मकता लाने में सांसों का इस्तेमाल करें :-
हमारी साँस विशेष रूप से हमारी भावनाओं से जुडी हुई है। क्या आपने गौर किया है कि जब हम किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो अपनी सांसो को रोक कर रखते हैं?और क्या अपने महसूस किया है कि, जब हम क्रोध करते हैं, तो हमारी साँस बदल जाती है। हमारी साँस हमारी भावनाओं के अनुसार बदल जाती है। इसी प्रकार अपनी सांसो का इस्तेमाल करके अपनी सोच का तरीका भी बदल सकते हैं। जब भी आप फ्री हों-दस बार लम्बी और गहरी साँस लीजिये। आपको अच्छा लगेगा।
8.बुरे समय (आपदा ) में भी सच्ची बातों पर ध्यान दीजिये:
जब मीडिया में चारो तरफ नफरत और क्रूरता फैली हो तब विश्वास और सकारात्मक बातें सोचना बहुत कठिन होता है। आपदा, युद्ध, और दर्दनाक अनुभव की घटनाओं में झूठी संवेदना और अपनापन दिखाने वाली खबरों की बजाय हमें सच्ची खबरों को देखना सीखना होगा।
9.किसी समस्या के साथ उसका समाधान भी खोजिए:
सकारात्मक रहने का मतलब ये नहीं कि आप समस्याओं के प्रति जागरूक ही ना हों। रचनात्मक व्यक्ति के पास किसी भी समस्या को सुलझाने का हल होता है। जब आप अपने आस -पास की किसी समस्या को उठायें तो उसके समाधान का प्रस्ताव पर भी आपका प्रयास होना चाहिए। समस्या आने पर उससे परेशान होने की बजाय ये समस्या किस प्रकार हल हो सकती है, इसका प्रयास कीजिये।
10.किसी को ख़ुशी दीजिये:
क्या अपने कभी किसी गरीब या बेसहारा व्यक्ति की मदद की है, या उनके बारे सोचा है? हममे से अधिकांश उन्हें देखकर बुरा सोचते है। हमें अपनी समाज के प्रति जिम्मेदारी को समझना चाहिए। प्रति दिन किसी एक व्यक्ति को थोड़ी ख़ुशी देने का उद्देश्य बनाइये, और देखिये इससे आपको कितनी ख़ुशी मिलेगी। इससे आपको आस-पास रहने वाले सामान्य लोगों के प्रति आपकी बुरी मानसिकता को बदलने में मदद मिलेगी।
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