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                          मनोहर पोथी
मनोहर पोथी

परिचया संपादित करें

            आचार्य रामलोचन सरन द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक हे मनोहार पोथी ।[1]  आचार्य रामलोचन सरन एक महान साहित्यकार, वैयाकरण और प्रकाशक थे । वह टॉल्स्टॉय और गांधी अंग्रेजी में प्रकाशित किया था । यह पुस्तक पाटना मे प्रकाशित हुआ था । उन्होने अपना प्रकाशण गतिविधियो १९२९ को पाटना मे स्थानांतरित कर दिया । उन्होने यह पुस्तक २० वीं सदी के दोरान पर लिखा था । मनोहार पोथी या बाल पोथी आचार्य रामलोचन सरन के पुस्तक हें जो शुरुआतियों को हिंदी की वर्णमाला सिखाने का प्रयास कि। यह देवनगरी लिपि का उपयोग करता हैं ।

मुख्य सामग्री संपादित करें

            अधुनिक शिक्षा जगत की चकाचौध ने मनोहर पोथी कि लौ को धुंधली कर दी है । यह वही मनोहर पोथी है जिस्से पढ़कर हमारे अभिभावको ने समाज को मज़बूत इबारत दी । छोटे बच्चों इसी पुस्तक से 'क' , 'ख' , 'ग' को तुतली ज़ुबा से रटते थे ।  यह शुरुअत मे परंपरागत हिंदी वर्णमाला मे लिखा गया था , जहा केवल ३३ व्यंजनो का इस्तेमाल किया है । पर बाद मे  यह मानक हिंदी वर्णमाला का पालन किया ,जो  ३५ व्यंजनो का उपयोग करता है । उस समय केवल कुछ किताबें मुद्रित किया गया था, लेकिन अब प्रचुर मात्रा मे उपलंब्ध है । इस पुस्तक के माध्यम से आचार्य रामलोचन सरन जी ने बताया गया है कि शब्द का उच्चरण कैसे करे , कब उन्हें व्याकरण के अनुसार उपयोग करे और हिंदी मेआसानी से बात करने के लिए कई उपयोगी शब्द भी दिया गया है। रामलोचन जी ने मुख्य रूप से अंग्रेज़ों के लिए लिखा था । क्योंकि वे चाहते थे कि अंग्रेज़ों आसानी से संवाद कर सके ।

पुस्तक के उपाय संपादित करें

              भारत एक विविध रष्ट्र है जहाँ कई भाषाओं के इस्तेमाल किए थे ,इस पुस्तक हम भारतियों को समान रूप से बात करने के लिए मदद कि । पुस्तक विभिन्न रंगों और चित्रों के साथ भरा है । इसी कारण दोनों बड़ो और बच्चों के लिए ये आनंदित है । इस किताब कई लोगों को सार्वजनिक बोल के लिए आत्मविश्वास हासिल करने के लिए मदद की है । भारत जैसै विविधतापूर्ण देश मे , जहाँ कई भाषाओं के इस्तेमाल किया जाता है , इस पुस्तक भाषाओं मे एकरूपता लाने मे मदद किया है ।मनोहर पोथी के आवरण पेज पर ही भगवान गणेश की तस्वीर भी दिखती थी। गणेश की वंदना करती हुई एक बालिका का भी चित्र इस बहुमूल्य पुस्तक के आवरण पेज पर दिखता था। यहां यह समझना जरूरी है कि इन सभी चित्रों के अपने-अपने मायनें और विशेषताएं हैं। आवरण पेज पर इन चित्रों को एक साथ देने के पीछे कई सार्थक मतलब होता है। बापू एक तरफ जहां बच्चों में सत्य अहिंसा और राष्ट्रभक्ति का संदेश देते हैं। तो दूसरी तरफ भगवान गणेश जो विद्या और बुद्धि के देवता माने जाते हैं। वे ज्ञानआरंभ के समय बच्चों को विद्वान बनने का आर्शीवाद भी देते हैं।  इस साइठ पर हमे मनोहर पोथी का पुस्तक उपलब्ध है ।[2]

संदर्भ संपादित करें

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  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Acharya_Ramlochan_Saran
  2. https://pothi.com/pothi/book/ebook-ujjawala-singh-आओ-हिंदी-सीखें-भाग-1
  3. https://en.wikipedia.org/wiki/Acharya_Ramlochan_Saran
  4. https://pothi.com/pothi/book/ebook-ujjawala-singh-आओ-हिंदी-सीखें-भाग-1