शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है, हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है, कोई ढूढ़ता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को, कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।


सफर ज़िन्दगी का बहुत ही हसीन है, सभी को किसी न किसी की तालाश है, किसी के पास मंज़िल है तो राह नहीं, और किसी के पास राह है तो मंज़िल नहीं।



धूप में निकलो, घटाओं में नहाकर देखो, ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर देखो।