वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार श्री अनिल सक्‍सेना'ललकार' राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन के जनक हैं । श्री अनिल सक्सेना 'ललकार' ने 16 मई 2010 को राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम की स्थापना की।   वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार श्री अनिल सक्सेना 'ललकार'ने साल 2010 से ही राजस्थान के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रों में जाकर भारतीय साहित्य और पत्रकारिता के उच्च मानदण्ड स्थापित करने और सांस्कृतिक उन्नयन के लिए कार्य करना शुरू कर दिया। राजस्थान साहित्यिक आंदोलन अनवरत जारी है।  अनिल सक्सेना 'ललकार' ने सैंकड़ो कविताएं, कहानियां और संस्मरण लिखे हैं। राजस्थान साहित्य अकादमी के सहयोग से उनका कहानी संग्रह 'आख्यायिका' का प्रकाशन हुआ। आख्यायिका पुस्तक देश भर में चर्चित रही। प्रदेश के सबसे पुराने मीडिया समूह 'ललकार' के स्वामी प्रकाशक और संपादक है। ललकार समूह की दिल्ली से 'ललकार टुडे, मैगज़ीन और जयपुर और चित्तौड़गढ़ से ललकार अखबार का प्रकाशन हो रहा है।  श्री अनिल सक्‍सेना को प्रिंट मीडिया के साथ इलेक्ट्रोनिक मीडिया का भी अनुभव है! 
श्री अनिल सक्‍सेना का परिचय इस प्रकार है। 

पिता का नाम- स्व. श्री सुरेश चन्द्र सक्‍सेना जन्म तिथि – १६ मई १९७४ जन्म स्थान – चित्तौड़गढ़ ,राजस्‍थान जाति – कायस्थ शिक्षा – एम.बी.ए(एच.आर.) पता – घ-१ हाउसिंग बोर्ड कुम्भा नगर चित्तौड़गढ़ – राजस्‍थान संपर्क – 097995-35670


1-पत्रकारिता पृष्ठभूमि - सन् 1993 से पत्रकारिता के क्षेत्र मे कार्यरत ! राजस्‍थान ब्यूरो हेड -सी.एन.एन,डेस मेगजीन ,डेडलाइन ! 2-सामाजिक पृष्ठभूमि - कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय कायस्थ संगठन, निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष – नेशनल कायस्थ निवर्तमान युवा प्रदेश अध्यक्ष – राजस्थान कायस्थ महासभा निवर्तमान अध्यक्ष – श्री चित्रगुप्त सभा चित्तौड़गढ़, अध्यक्ष – श्री चित्रगुप्त मंदिर मंडल , भाभा बाल विकास संस्थान

3-सम्मान- – ३१ जनवरी २०११ को उदयपुर मे कलम का सिपाही सम्मान!! - १५ अगस्त २०११ को चित्तौड़गढ़ जिला प्रशासन द्वारा पत्रकारिता के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान और पत्रकारो की समस्याओं को निदान करवाने के लिये जिला स्तर पर सम्मान !! - २५ दिसंबर २०१२ को नेशनल मीडिया फाउंडेशन , नई दिल्ली के द्वारा पत्रकारिता के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान के लिये राष्ट्र स्तर पर सम्मान!! - राजस्थान मे विभिन्न मीडिया संस्थानो मे कार्यरत पत्रकारो के वैचारिक क्रांति के मंच राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम की स्थापना!! - राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम मे राज्य भर के लगभग 2700 पत्रकार सदस्य !! - कम समय मे राज्य भर मे पत्रकार कार्यशाला आयोजित करने का रिकॉर्ड !! - दिल्ली मे राष्ट्र स्तर पर पत्रकार कार्यशाला का आयोजन !!

ललकार समूह सन् 1949 से कार्यरत है। ललकार समूह की दिल्ली से ललकार टुडे मैगजीन प्रकाशित हो रही है और ललकार समूह का अपना समाचार पत्र है।

ललकार समाचार पत्र मिशन पत्रकारिता करने वाला राजस्‍थान का सबसे पुराना और चित्तौड़गढ़ का सबसे पहला समाचार पत्र है !!

7 जनवरी 1949 मे ललकार समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू हुआ था !वर्तमान मे ललकार समाचार पत्र का प्रकाशन जयपुर और चित्तौड़गढ़ से हो रहा है!

ललकार समूह सामाजिक सरोकार के कार्यो से भी जुड़ा हुआ है  ! ललकार समूह ने सामाजिक सरोकार और धार्मिक क्षेत्र मे कई उल्लेखनीय कार्य किये है ! ललकार समाचार पत्र राजस्‍थान के सभी जिलो के साथ ही मध्यप्रदेश और दिल्ली मे प्रसारित हो रहा है !

ललकार समूह की राष्ट्रीय पत्रिका ललकार टुडे का प्रकाशन दिल्ली से हो रहा है  ! ललकार राष्ट्रीय मेगजीन राजस्‍थान , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , गुजरात , बिहार ,छत्तीसगढ़ ,उत्तराखण्ड , हरियाणा , गोवा , हिमांचल प्रदेश , पंजाब , जम्मू-कश्मीर , झारखण्ड आदि राज्यो मे पढ़ी जाने वाली राष्ट्रीय पत्रिका है!

राजस्थान का साहित्यिक आंदोलन

राजस्थान में साहित्यिक आंदोलन की शरुआत वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार श्री अनिल सक्सेना 'ललकार' ने 16 मई 2010 से की। इसी दिन श्री अनिल सक्सेना 'ललकार' ने राजस्थान मीडिया एक्शन फॉरम की स्थापना की। श्री अनिल सक्सेना 'ललकार' ने भारतीय साहित्य और पत्रकारिता के उच्च मानदण्ड स्थापित करने और सांस्कृतिक उन्नयन के लिए प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में जाकर पत्रकारिता-साहित्यिक-सांस्कृतिक परिचर्चा, कार्यशाला, सेमिनार, व्याख्यान, लेखक की बात, साहित्य उत्सव जैसे कार्यक्रम शुरू किए। इनके द्वारा हिंदुस्तान में पहली बार क्षेत्रीय दिवंगत पत्रकार और साहित्यकारों की स्मृति में परिचर्चा का आयोजन भी प्रदेश भर में किए जा रहे हैं।

राजस्थान में साहित्यिक अलख जगाने के लिए किसी व्यक्ति के द्वारा इतिहास में पहली बार प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा और पंचायत में जाने के कारण वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार श्री अनिल सक्सेना 'ललकार' को राजस्थान साहित्यिक आंदोलन का जनक कहा जाने लगा है। वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार श्री अनिल सक्सेना 'ललकार' का राजस्थान साहित्यिक आंदोलन अनवरत जारी है।

[1] राजस्थान साहित्यिक आंदोलन के जनक वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार श्री अनिल सक्सेना 'ललकार' के आंदोलन की शरुआत राजधानी जयपुर से--

राजस्थान का साहित्यिक आंदोलन‘

मुख्यमंत्री चाहते थे जयपुर के पहले कार्यक्रम में आना

अनिल सक्सेना ‘ललकार‘

मैं, दिल्ली में पत्रकारिता करते हुए साल 2010 तक मेरी जन्मस्थली चित्तौड़गढ़ में चार बड़े पत्रकारिता विषय पर कार्यक्रम कर चुका था। इसमें जिले के पत्रकार, साहित्यकार और कलाकारों सहित तत्कालीन जिला कलक्टर श्री आशुतोष गुप्त, आईएएस श्री रवि जैन, श्री राजेन्द्र सिंह शेखावत, तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक श्री टी.सी.डामोर, श्री राघवेन्द्र सुहास, वर्तमान राज्यसभा सांसद राष्ट्रीय संत बालयोगी श्री उमेशनाथ जी महाराज, श्रमजीवी पत्रकार संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के. विक्रम राव, वरिष्ठ पत्रकार श्री इशमधु तलवार, दिल्ली से वरिष्ठ पत्रकार श्री अतुल अग्रवाल, श्री यशवंत सिंह, वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री सी.पी.जोशी, तत्कालीन सांसद श्री श्रीचंद कृपलानी सहित कई जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया।

पत्रकारिता करने के साथ ही कहानी और संस्मरण लिखने का शौक शुरू से था, घर के संस्कारों के चलते आध्यात्म के प्रति रूचि बचपन से रही। मतलब यह कि पत्रकारिता, साहित्य और संस्कृति से मेरा जुड़ाव शुरू से रहा ।

मन में था, साहित्य,संस्कृति और मीडिया के क्षेत्र में कुछ नया करने का। पत्रकारिता के गुरू श्री वीर सक्सेना से चर्चा कर 16 मई 2010 को जयपुर में कार्य करते हुए राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम की स्थापना की। सबसे पहले प्रदेश के पत्रकार, साहित्यकार और कलाकारों को फोरम से जोड़ने में लग गया।

पत्रकारिता-साहित्यिक-सांस्कृतिक विषय पर छोटे-छोटे कार्यक्रम करने के बाद जयपुर पिंक सिटी प्रेस क्लब में बड़े कार्यक्रम की तैयारियों में जुट गया। 10 दिसम्बर 2011 को जयपुर में कार्यक्रम होना तय कर दिया गया। सबसे पहले राजस्थान के सभी संभाग मुख्यालयों पर गया और वहां के अपने पत्रकार साथियों को जयपुर कार्यक्रम में आने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद जिला और विधानसभा क्षेत्रों में जाकर संपर्क किया।

सच तो यह है कि प्रदेश के कुछ शहरों में निराशाजनक बातें सुनने को भी मिली। कुछ ने कहा प्रदेश में कई पत्रकार संगठन चल रहे हैं, इससे क्या होगा ? तो कुछ बोले, पत्रकार संगठन बनते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद कागजों में रह जाते हैं। मैंने फोरम से पत्रकारों सहित साहित्यकारों और कलाकारों को भी जोड़ने की बात कही और समझाया कि यह फोरम पत्रकार संगठन के रूप में नही वरन् प्रदेश के पत्रकार, साहित्यकार और कलाकारों के वैचारिक क्रांति के मंच के रूप में कार्य करेगा। सदस्य संख्या बढ़ने लगी थी।

मैंने पहले ही तय किया हुआ था कि फोरम के सदस्य बनने के लिए सदस्यता शुल्क नही लिया जाएगा। शुरूआत के दिनों में एक-दो जिलों में फोरम के पदाधिकारियों ने शुल्क लेने का प्रयास किया। मैंने, जानकारी मिलने पर सख्ती से बिना सदस्यता शुल्क लिये पत्रकार,साहित्यकार और कलाकारों को जोड़ने का कार्य शुरू करवा दिया।


जयपुर में होने वाले कार्यक्रम का समय नजदीक आ रहा था। वीर भाईसाहब (प्रदेश के वरिष्ठतम पत्रकार) बार-बार जयपुर बुला रहे थे और मैं प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर अपने साथियों को जयपुर कार्यक्रम का आमंत्रण दे रहा था। मुझे प्रदेश के दूरस्थ गांव और कस्बों के कलमकार साथियों पर विश्वास था।

आखिरकार वीर भाईसाहब ने जयपुर के पत्रकारों को आमंत्रण देने का जिम्मा पूर्व पिंक सिटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री राधारमण शर्मा को सौंपा। उन दिनों पिंक सिटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री एल.एल.शर्मा जी हुआ करते थे। मैं एक दिन के लिए जयपुर आया। एल.एल.शर्मा जी से मिला। प्रेस क्लब का शुल्क देकर रसीद प्राप्त कर ली और फिर निकल गया दूसरे बाकी बचे शहरों की ओर।

कुछ दिन बाद फिर जयपुर आया। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी, पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जी, विधानसभा अध्यक्ष श्री दीपेन्द्र सिंह जी, सूचना जनसंपर्क मंत्री श्री जितेन्द्र सिंह जी, आयुक्त जनसंपर्क निदेशालय आईएएस श्री कुंजीलाल मीणा जी और राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री वेदव्यास जी को आमंत्रण देकर अपने बाकी बचे कार्यो को पूरा करने में लग गया।

सबसे पहले वीर भाईसाहब के जरिये विधानसभा अध्यक्ष, जनसंपर्क मंत्री और राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष की सहमति की जानकारी मिली।

मैं बहुत खुश था, जो सोचा, वो हो रहा था। प्रिंटर से लेकर सभी तैयारियों का अंतिम रूप चित्तौड़गढ़ से दिया जा रहा था। यहां तक की मंच पर लगने वाला पोस्टर भी चित्तौड़गढ़ में ही बन रहा था। सैकड़ों की संख्या में आमंत्रण पत्र बन रहे थे। मुख्यमंत्री की सहमति नही मिलने के कारण आमंत्रण पत्र में विधानसभा अध्यक्ष और जनसंपर्क मंत्री का नाम लिखवा दिया गया था।

कोटा में आमंत्रण पत्र देकर मैं जयपुर की ओर जा रहा था, तभी मुख्यमंत्री कार्यालय से विशेषाधिकारी श्री देवाराम जी का काॅल आया और उन्होंने मुख्यमंत्री जी के कार्यक्रम में आने की जानकारी देकर फोरम का परिचय मेल के जरिये भेजने को कहा । मुख्यमंत्री का नाम बिना छपे आमंत्रण पत्र वितरित हो चुके थे । मैंने उन्हें इस बात की जानकारी दी तो उन्होंने कहा साहब ने इस कार्यक्रम में आने की बात कही है, आप तुरंत फोरम का परिचय मेल कीजिए।

मैं समझ नही पा रहा था, अब क्या करूं । लेकिन जल्दी ही अपने लैपटाॅप से फोरम का परिचय मुख्यमंत्री कार्यालय को मेल किया। इसके बाद अपने प्रिंटर को मुख्यमंत्री का नाम लिखा नया आमंत्रण पत्र बनाने का आदेश दिया। वो बोला, साहब वापस से इतने कार्ड कैसे वितरित होंगे । मैंने कहा, तुम तो प्रिंट करो।

एक बार फिर आमंत्रण पत्र बनाये गये। जितने बंटे वो बांटे गये। व्हाटसएप्प के जरिये मुख्यमंत्री के नाम वाले कार्ड को भेजा गया। मैं जयपुर पहुंच कर दूसरी तैयारियों में लग गया। भोजन बनाने वाले हलवाई को अग्रिम पेशगी दी और फिर लग गया अपने आने वाले साथियों के रहने की व्यवस्था करने में ।

आखिर वो दिन भी आ गया। 10 दिसम्बर 2011 की सुबह । मेरे आध्यात्मिक गुरू वर्तमान राज्यसभा सांसद राष्ट्रीय संत बालयोगी श्री उमेशनाथ जी महाराज, मेरे पत्रकारिता के गुरू श्री वीर सक्सेना और मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी (जनसंपर्क) श्री यासीन कार्यक्रम स्थल पहुंच चुके थे। विधानसभा अध्यक्ष, जनसंपर्क मंत्री, सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के आयुक्त, राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष, वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रवीण चंद्र छाबड़ा , श्री के.एस.तोमर सहित प्रदेश के कोने-कोने से सैकड़ों पत्रकार और कलमकार भी पिंक सिटी प्रेस क्लब आ गये। जयपुर के दूसरे वरिष्ठ और अन्य पत्रकार भी आ गये। पिंक सिटी प्रेस क्लब के सभागार में सीटें कम होने के कारण बाहर से आए कई ग्रामीण और कस्बाई कलमकार बाहर ही रह गये।

मेरी आदत के मुताबिक समय पर कार्यक्रम शुरू करवा दिया गया। तीन घंटे के बाद कार्यक्रम समाप्ति की ओर था । जयपुर में पहला सफल कार्यक्रम और यही थी मेरे द्वारा शुरू किये गये राजस्थान साहित्यिक आंदोलन की राजधानी से शुरूआत । प्रदेशभर से पत्रकार, साहित्यकार और कलाकार आए लेकिन सूबे के मुखिया नही आ पाए, जबकी वो इस कार्यक्रम में आना चाहते थे।

(अनिल सक्सेना 'ललकार')

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