Arun singh yadav
परमपिता स्वयम्भू नारायण[1]
से ब्रह्मा ब्रह्मा के सात मानस पुत्र हुए 1. मारीचि, 2. अत्रि 3.पुलस्त्य 4. पुलह 5. क्रतु 6.वशिष्ठ 7.कौशिक | चंद्रमा | बुध | पुरुरवा | आयु | नहुष | य़यति महाराजा ययाति के दो रानियाँ थीं 1.देवयानी 2.शर्मिष्ठा देवयानी से दो पुत्र हुए शर्मिष्ठा से तीन पुत्र हुए 1. यदु 2.तुर्वशु 1.दुह्यु 2.अनु 3.पुरु
महाराज यदु से यादव वंश चला। उनके कितने पुत्र थे इस विषय में विभिन्न धर्म ग्रन्थ एकमत नहीं हैं। कई ग्रंथों में उनकी संख्या पाँच बताई गई है तो कई में चार। श्रीमदभागवत महापुराण के अनुसार यदु के सहस्त्रजित, क्रोष्टा, नल और रिपु नामक चार पुत्र हुए। उनका वंश वृक्ष नीचे दिया गया है:-
यदु के चार पुत्र
1. सहस्त्रजित 2. क्रोष्टा 3.नल 4. रिपु (सहस्त्रजित के तीन पुत्र) | 1. हैहय, 2.वेणुहय, 3. महाहय वृजिनवान
| | धर्म श्वाही | | नेत्र रुशेकु | | कुन्ति चित्ररथ | |
सोह्जी शशविंदु
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महिष्मान पृथुश्रवा
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भद्रसेन धर्म
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धनक उशना
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कृतवीर्य रुचक
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अर्जुन ज्यामघ
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जयध्वज विदर्भ
| (विदर्भ के तीन पुत्र )
तालजंघ 1 कश, 2. क्रुथ 3. रोमपाद
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बीतिहोत्र कुन्ति बभ्रु
| | | मधु धृष्टि कृति | | निर्वृति उशिक | | दर्शाह चेदि | व्योम | जीमूत | विकृत | भीमरथ | नवरथ | दशरथ | शकुनि | करम्भि | देवरात | देवक्षत्र | मधु | कुरूवश | अनु | पुरुहोत्र | आयु | सात्वत सात्वत के सात पुत्र हुए 1. भजमान, 2. भजि , 3. दिव्य, 4.वृष्णि , 5. देवावृक्ष, 6. महाभोज , 7. अन्धक | | वृष्णि के दो रानियाँ थीं | 1. गांधारी 2. माद्री | गांधारी के एक पुत्र माद्री के चार पुत्र | सुमित्र 1.युधर्जित, 2.देवमीढुष,3.अनमित्र, 4.शिनि | (अनमित्र) | | | | | | | | | | | निघ्न पृष्णि | | निघ्न के दो पुत्र पृष्णि के दो पुत्र | | 1.प्रसेन 2.सत्राजित | | | | | | | | 1.श्रफल्लक 2.चित्रक | | | | | | अक्रूर पृथु व अन्य | | | | | | | | देवमीढुष के दो रानियाँ थीं | 1. मदिषा 2. वैश्यवर्णा | | | | शूरसेन पर्जन्य | | | | | धरानंद,ध्रुव, नन्द आदि | | आदि दस पुत्र हुए | | | वसुदेव देवभाग पृथा श्रुतश्रवा | | | | | | | उद्धव पाण्डव