भवाई:- भवाई गुजरात राज्य का लोक-नाट्य प्रकार है । भवाई=भव्+आई जीस का अर्थ होता है जो जनमो-जनम से चलते आ रहा है।सामान्यतय भवाई "खेलने" के अर्थ से जुड़ा हुआ है । गुजराती साहित्य के एक प्रकार के रूप में भी भवाई की गणना होती है। जैसे हर कोई अपने जीवन मे अपना-अपना कीर्दार नीभाता हैं वैसे ही भवाई मे अलग अलग पात्र अपना कीर्दार नीभाते है जीसे "वेश" कहा जाता है।बारीश खतम होने के बाद और ठंडी शुरु होने के पहेले,दिपावली के करीब भवाई की मंडलीयॉ गाँव में आकर गाँव के मुख्य स्थान(चौराहे या गाँव के बीच की खुली जग़ह) पर अपना डेरा जमाती है और १०-१५ दीन तक वहाँ भवाई खेलते हैं।