Ashish manju Chouhan
Ashish manju Chouhan 18 दिसम्बर 2018 से सदस्य हैं
शिवरीनारायण शिव मंदिर नीव रखने वाले शिवरीनारायण के ही निवासी था श्री बूची राम चौहान जी जिनकी एक छोटी सी झोपड़ी जर्जर् अवस्था में थी जिसके एक कोने में शिव लिंग नुमा पत्थर को रख दिया था ।गांव गांव घूम घूम कर अपने ही समाज के लोगों के पास भीख मांगते हुए कहता था कि उस शिव मंदिर को बनाना है । उस समय 25/50पैसा बहुत होता था उस पैसे से अपनी झोपड़ी ठीक करता था और अपनी जीवन यापन करता था ।उनकी माता दो बहन थी ,एक साहिन दाई दूसरी बिसाहिन दाई जिनकी वह खूब गुणगान करता था ।उस मंदिर की नीव करीब सन1910 के समय में रखी गई थी ।
बूची बाबा के देहान्त होने के पश्चात शिवरीनारायण छेत्र के लोगों ने शिव मंदिर के नाम से हमारे चौहान समाज के बंधुओं से काफी पैसा चंदा के नाम पर उगाही करते रहे ।शिवरीनारायण निवासी केवट समाज की एक मिस्त्री के कथनानुसार मंदिर में दीवाल जोड़ने की काम भी चलता था और मंदिर के गर्भ गृह में मछली भी पकाया जाता था, सभी खाना खाने के बाद मिस्त्री की भी मजदूरी निकालते थे और देखरेख के नाम पर अपनी भी मजदूरी निकालते थे ।
काफी समय गुजरने के बाद सन् 1990से छुटपुट सामाजिक मिटिंग प्रत्येक वर्ष की माघपूर्णिमा को आयोजित किया जाता रहा है मगर इतने वर्षों में मंदिर निर्माण कार्य महज चौखट तक ही सिमट कर रह गया था जिसमें जगह जगह दरारें पड़ गया था ।
सन् 14/02/1994 को शिवरीनारायण टिकरीपारा मे बैठक बुलाई गई जिसमें युवा वर्ग को मंदिर निर्माण कार्य की जिम्मेदारी दी गई ।मंदिर के दीवाल की दरारों को देखते हुए सभी आवश्यक जगहों पर बिम डलवा कर छत की ढलाई करने के लिए शिवरीनारायण के ही निरंजन सेठ को ठेका पर दिया गया ।और फिर आगे गुम्बज तैयार करने के साथ साथ प्लास्टर और मंदिर के गर्भ गृह के सामने 15"/15"फीट की कमरा तैयार किया गया । उपरोक्त निर्माण कार्य की अध्यक्षता प्यारे लाल कुलदीप भालू भाडा/कोष की जिम्मेदारी मुझे दिया गया, और इस तरह सन् 2000 में मात्र छः वर्ष में निर्माण कार्य पूर्ण किया गया ।और सन् 2001में बनारस से ग्यारह पंडितों की देखरेख में पांच कुण्डीय महारूद्र यज्ञ का आयोजन कर प्राण प्रतिष्ठा कार्यकम के साथ एक सप्ताह तक निशुल्क भंडारा करते हुए मंदिर के नाम से उगाही को बंद किया गया । मगर आज फिर से सामाजिक बंधुओं से मिलाने जुलाने के नाम परउगाही किया जा रहा है, ऐसा वर्तमान अध्यक्ष कुमारसाय चौहान जी के द्वारा जानकारी प्राप्त हुआ है ।