बलात्कार : एक जिंदगीऔर को नरक

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एक अकेली औरत अपने आत्मसम्मान के साथ जीने की जितनी कोसिस करती है उससे दुगनी कोसिस इस सभ्य समाज में इंसान के रूप में छुपे भेडिये उसे तार - तार करने की करते है | कोई औदे के नाम पर , कोई शादी के नाम पर , तो कोई प्यार के नाम पर हवस के रूप में , तो कोई सामाजिक ठेकेदार बनकर |

हमारे सभ्य समाज के सभ्य दिखने वाले मर्द एक अकेली औरत को देखकर अपना सिक्का ज़माने में लग जाते है , जब कुछ हाथ न लगे तो बदनाम करने पर उतर आते है | इसी तन्ग नज़रिए , तन्ग दिली , बेरहमी का शिकार होती है "औरते "

सच्चाई तो यह है की आदर्श अब जुमले बनकर रह गए है , भोतिक जीवन और अवसरवाद ने इन्सान को अँधा बना दिया है | बिना सोचे समझे वह कोई भी जुआ खेलने को तैयार है और इस जुए में दाव पर लगती है हमारे समाज की आबरू

प्राचीन विचारधारा : कुंठा

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नारी की अवहेलना , उसकी स्वतंत्रता का अपहरण , शायद बहुत पहले प्रारम्भ हो गया था |

कुआरी परिक्षण - शायद शब्द नही सुना होगा लेकिन इसका अस्तित्व है हमारे देश में लड़की को पंचायत के समछ अपने कुवारे होने का प्रमाण देना पड़ता है

उसकी आबरू को सरे आम उछाला जाता है और हमारा सभ्य समाज इसका हिस्सा बनकर इसे देखता रहता है | ऐसा नही है की यह प्रथा खत्म हो गयी हो आज भी हमारे देश के हरिया में खाक पंचायत ऐसे दुश्क्रत्य करती है और हमारा प्रशासन कुछ नही | समाज कुछ नही करता है , परिवार कुछ क्र नही पता है , प्रताडत महिला को कुछ करने नही दिया जाता है |

ऐसी प्रत्ये युगों पहले कुछ कारन से बनायीं गयी थी , अपनाई गयी थी लेकिन बदलते वक़्त के साथ ये जरुरी है की हम इनका परिक्षण करे , विश्लेषण करे और जरुरत पड़ने पर इन प्रथाओ को त्याग भी दे | इंसान की भावनाओ को उलझाकर उन्हें तोड़-मरोड़ देने वाली ऐसी पप्रथाओ का क्या फायदा ? जो उससे जुड़े सभी का जीवन बर्बाद कर दे |

जब इंसानी रिश्ते व्यापर का माध्यम बन जाते है तो मोत सिर्फ इंसानियत की नही बल्कि रिश्तो की भी होती है

वर्तमान हालात

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अगर आप इन्टरनेट पर चेक करे तो आप सोचने पर मजबूर हो जायेगे इतने सरे ह्यूमन ट्रैफिकिंग के केस , इतनी दर्द भरी कहानिया है उनकी बोखला देने वाली स्टैटिक्स है | लेकिन इन त्रफ्फिच्क्र्स का होता क्या है क्या इन्हें देश के कानून का खुफ़ नही है? , इनके कन्विक्शन रेट्स क्या है ? ,क्या इन्हें वाकई में सजा होती है ? ये बहुत दिस्तुर्बिंग सवाल है जिसके जबाब हमेशा संतुस्ट करने वाले नही होते है

लाखो मासूम पीड़ित औरते और बच्चे इंतज़ार कर रहे है की कब उन्हें कोई उस नरक से  निकलेगा |

एक रिपोर्ट के अनुसार 150 अरब डॉलर का मानव तस्करी का व्यापर है

एक प्रयाश : एक विचार

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अच्छी जिंदगी चाहना कोई गलत बात नही है लेकिन गलत तरीके अपनाकर अच्छी जिंदगी पाने की कोसिस जरुर गलत है , जरुरत है इंसान को अपने आप में टटोलने की | संकर , इंसानियत , इमानदारी , और सम्मान , अच्छाई , भलाई की अग्नि परीक्षा अक्सर गरीब की होती है और इस एग्जाम में कई बार पड़े लिखे आमिर बुरे नंबर पते है

सच्चाई एक यह भी है की इस भोतिकता के जीवन ने हमारे अन्दर विचार उत्पन्न करने की छमता को नस्ट क्र दिया है और व्यक्ति के अन्दर जेसे जेसे विचारो की शुन्यता आती वेसे वेसे नेतिकता का हनन होना प्रारम्भ हो जाता है और इसी कारन  आज हमे बदलते हुए परिद्र्स्य में यह बालात्कार जेसी समस्याओ के रूप से ग्रसित समाज देखने को मिलता है |

प्रकर्ति का नियम है बदलाव आज हमे अबश्य्कता है इसी की अवसयक्ता है तो आज से ही हम हमारा समाज प्रण ले की शसक्त कलाई प्रखर मनोबल और ज्वलंत रास्त्रअभिमान के साथ की समाज में नारी को वही स्थान दिलाकर रहेगे जो वैदिक समय में उसे प्राप्त था |